गाभीन पशुओं के साथ नए ब्यांत पशुओं एवं अधिक दूध उत्पादन करने वाले पशुओं में ऊर्जा की कमी होने लगती हैं। प्रसव के बाद मादा पशुओं के वजन में 80 से 100 किलोग्राम तक कमी आती हैं।
ऐसे में ऊर्जा की कमी के कारण पशु कमजोर होने लगती हैं। जिससे दोबारा गर्भाधान मैं अधिक समय लगता हैं। केवल इतना ही नहीं, 2 ब्यांतो के बीच का अंतराल भी लंबा हो जाता हैं। ऐसी स्थिति में पशुओं के दूध उत्पादन की क्षमता कम हो जाती हैं।
इस समस्या से निजात पाने के लिए पशु पालक अक्सर पशुओं को तेल या घी पिलाने लगते हैं। इससे कई बार पशुओं को फाइबर युक्त आहार पचाने में कठिनाई होती हैं। इस समस्या के समाधान के लिए पशुओं को बायपास वसा खिलाना एक बेहतर विकल्प हैं।
पशुओं को बायपास फैट खिलाने से होने वाले फायदे!
फाइबर युक्त आहार को पचाने में बड़ी आसानी होती हैं। नए ब्याए एवं गाभिन पशुओं के आहार में बायपास फैट शामिल करके ऊर्जा की कमी को संतुलित किया जा सकता हैं। दूध उत्पादन बढ़ाने में सहायक होती है। अधिक दूध देने वाले पशुओं में पोषक तत्वों कि कमी दूर होती हैं। जिससे पशुओं की प्रजनन क्षमता बढ़ती है।
पशुओं को बायपास फैट खिलाने की सही मात्रा!
दुधारू पशुओं को प्रति किलोग्राम दूध उत्पादन के अनुसार 15 से 20 ग्राम बायपास फैट खिलाना चाहिए। संकर नस्ल की गाय को प्रति दिन 100 से 150 ग्राम बायपास फैट खिलाए। भेंसो के आहार में प्रति दिन 150 से 200 ग्राम बायपास फैट की मात्रा शामिल करें।
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