वित्त वर्ष 2025 के अप्रैल से दिसंबर अवधि में भारत का उर्वरक आयात 18.4 प्रतिशत घटकर 120.54 लाख टन पर आ गया, जो पिछले साल 147.72 लाख टन था। खासतौर पर यूरिया आयात में 28.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और यह 43.16 लाख टन तक सीमित रहा, जबकि यूरिया की बिक्री 6.4 प्रतिशत बढ़कर 300.26 लाख टन हो गई।
रबी सीजन में उर्वरक की उच्च मांग ने कुल बिक्री को 7.3 प्रतिशत बढ़ाकर 525.92 लाख टन कर दिया। हालांकि डाइ अमोनिया फॉस्फेट यानी डीएपी की बिक्री 12.7 प्रतिशत घटकर 86.23 लाख टन रही, लेकिन म्यूरेट ऑफ पोटाश यानी एमओपी की बिक्री 31.6 प्रतिशत बढ़कर 16.78 लाख टन हो गई। इसके अलावा कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की बिक्री में 27.1 प्रतिशत की तेजी देखी गई ओर यह 122.65 लाख टन तक पहुंच गई। उर्वरक उत्पादन में भी 1.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई ओर यह 391.62 लाख टन हो गया।
इसमें यूरिया का उत्पादन 232.02 लाख टन ओर कॉम्प्लेक्स उर्वरकों का उत्पादन 73.85 लाख टन से बढ़कर 81.94 लाख टन हो गया। हालांकि डीएपी का उत्पादन घटकर 31.5 लाख टन पर आ गया। सरकार अब नैनो यूरिया की सफलता को देखते हुए नैनो डीएपी विकसित करने की दिशा में काम कर रही है, ताकि खपत को कम करते हुए उत्पादन बढ़ाया जा सके।
उर्वरक सब्सिडी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यूरिया सब्सिडी में 98,258.74 करोड़ रुपए ओर फॉस्फोरस एवं पोटाश सब्सिडी में 40,990.67 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है। यह बजट में आवंटित 1,64,00 करोड़ का 84.9 प्रतिशत है। अनुमान है कि सब्सिडी के संशोधित आंकड़ों में ओर बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, खासकर डीएपी की कीमत 1,350 रुपए प्रति बैग बनाए रखने के लिए इसे बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती हैं।
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