केंद्रीय कृषि मंत्रालय के राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) के तहत 18.75 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जो बदले में एक करोड़ किसानों तक पहुंचेंगे। गुजरात के हलोत स्थित गुजरात प्राकृतिक खेती विज्ञान विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में यह घोषणा की गई।
देश में 7.5 लाख हैक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और देशभर के 15 हजार क्लस्टरों में 10 हजार जैव इनपुट सा संसाधन केंद्र (बीआरसी) स्थापित करना मिशन का लक्ष्य है। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कार्यशाला के उद्घाटन में कहां कि प्राकृतिक खेती न केवल मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है, बल्कि किसानों की बाहरी बाजारों पर निर्भरता को कम करती है।
यह पद्धति पर्यावरण के प्रति संवेदनशील, लागत कुशल और जलवायु अनुकूल खेती को बढ़ावा देती है। प्राकृतिक खेती भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित भोजन और स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित करती है। कृषि विभाग के सचिव डॉ देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि इस मिशन का उद्देश्य 2025 में प्राकृतिक खेती की पद्धतियों को वैज्ञानिक रूप से मजबूत करना है।
एनएमएनएफ योजना के तहत किसानों, वैज्ञानिकों और संस्थानों को शामिल कर क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और विस्तार की गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। राष्ट्रीय कार्यशाला में हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, झारखंड, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के साथ प्राकृतिक खेती केंद्रों के 90 संसाधन व्यक्तियों ने भाग लिया। यह राष्ट्रीय कार्यशाला एनएमएनएफ के तहत आयोजित प्रशिक्षण गतिविधियों की शुरुआत है, जो भविष्य में भारतीय कृषि को ओर टिकाऊ बनाएगी।
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