केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को पेश किए बजट में कपास की पैदावार और गुणवत्ता सुधार के लिए पांच वर्षीय मिशन की घोषणा की है। इस मिशन का उद्देश्य कम उत्पादकता से जूझ रहे कपास किसानों को राहत देना और अतिरिक्त लंबे रेशे वाले कपास के उत्पादन को बढ़ावा देना है। इससे न केवल कपास को गुणवत्ता सुधरेगी, बल्कि भारत के पारंपरिक कपड़ा उद्योग को भी मजबूती मिलेगी।
वित्त मंत्री ने कहां कि मिशन के तहत कपास किसानों को विज्ञान और तकनीक का बेहतरीन सहयोग प्रदान किया जाएगा। इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी ओर भारत के पारंपरिक कपड़ा क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए गुणवत्तापूर्ण कपास की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी। भारत में कपास एक प्रमुख नकदी फसल है, जो वैश्विक कपास उत्पादन में लगभग 23 प्रतिशत योगदान देती है।
देश में लगभग 60 लाख कपास किसान है, जबकि प्रसंस्करण और व्यापार से जुड़े 4 से 5 करोड़ लोगों की आजीविका इस फसल पर निर्भर करती है। हालांकि हाल के सालों में कपास का रकबा ओर उत्पादकता घटने के कारण किसान कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों में भारत में कपास उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2021 में यह घटकर 350 लाख गांठ रह गया था, जो वित्त वर्ष 2022 में ओर घटकर 310 लाख गांठ पर पहुंच गया।
वित्त वर्ष 2023 में उत्पादन 330 लाख गांठ तक बढ़ा, लेकिन 2024 में यह फिर से गिरकर 320 लाख गांठ रहने का अनुमान है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में कपास का आयत 42 प्रतिशत बढ़कर 25 लाख गांठ हो सकता है, जबकि निर्यात 37 प्रतिशत घटकर 18 लाख गांठ रहने का अनुमान है। सरकार पहले ही 32 फसलों की 109 उच्च उपज वाली और जलवायु लचीली किस्मों को जारी करने की घोषणा कर चुकी है। इन किस्मों को किसानों तक पहुंचने में लगभग 3 साल लगेंगे।
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