मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण यानी एसबीए-जी के तहत अपनाई गई अपशिष्ट प्रबंधन की सृजनात्मक पहल को देशव्यापी सराहना मिली है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024 से 25 में इस पहल का विशेष उल्लेख किया गया है, जिससे जिले की सफलता को राष्ट्रीय पहचान मिली है। छिंदवाड़ा जिले ने एसबीए-जी के दूसरे चरण के तहत बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट प्रबंधन को प्राथमिकता दी है।
जिले की 784 ग्राम पंचायतों और 1,898 गांवों में अपशिष्ट प्रबंधन की ठोस व्यवस्था विकसित की गई है, जिसमें 8,507 एनएडीईपी खाद गड्ढे शामिल हैं। हालांकि इन गड्ढों का अनुचित उपयोग सामुदायिक कूड़ेदानों के रूप में होने लगा था, जिसे देखते हुए प्रशाशन ने एक व्यापक स्वच्छता अभियान शुरुआत की। इस पहल का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण समुदायों में जागरूकता बढ़ाना और टिकाऊ स्वच्छता पद्धतियों को बढ़ावा देना था।
सामुदायिक सहभागिता और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों ने इस प्रयास को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। व्यापक जनसंपर्क अभियानों के माध्यम से ग्रामीणों को खाद बनाने के लाभों से अवगत कराया गया, जबकि लक्षित प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने किसानों और हितधारकों को जैविक अवशेषों के कुशल प्रबंधन की जानकारी दी। इससे एनएडीईपी गड्ढों में जैविक कचरे और गोबर के उचित उपयोग को बढ़ावा मिला, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली खाद का उत्पादन संभव हो सका।
इस पहल में लगभग 68,050 हितधारकों की सक्रिय भागीदारी रही। इस प्रयास के कारण गांवों में अपशिष्ट अलग करने और इसके प्रबंधन में सुधार हुआ। प्रत्येक एनएडीईपी गड्ढे से प्रति चक्र 500 किलोग्राम खाद मिलने का अनुमान है, जिससे तीन खाद चक्रों के माध्यम से किसानों को सालाना लगभग 30 हजार रुपए सालाना खेती से अतिरिक्त आय होगी।
इस पहल से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होने, लागत घटने और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधारकों उम्मीद है, जिससे टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा। आगे की योजनाओं में एनएडीईपी गड्ढों का विस्तार, उनके अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित करना और खाद के लिए बाजार कनेक्टिविटी स्थापित करना शामिल है।
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