केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया कि भारतीय कपास निगम को कपास उत्पादकता परीक्षण करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक जिले की पहचान करने का निर्देश दिया गया है। यह पहल ऐसे समय में की गई है जब ब्राजील, चीन, ऑस्ट्रेलिया और रूस की तुलना में कपास की पैदावार में काफी महत्वपूर्ण अंतर पाटना चाहता है। इन देशों में कपास की औसत उत्पादकता 2,000 से 2,200 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर है, जबकि भारत में मात्र 450 से 500 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर हैं।
सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में अकोला मॉडल को देश भर में लागू करना शामिल है। यह मॉडल कपड़ा क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। मंत्री सिंह ने 2030 तक भारतीय कपड़ा बाजार के आकार को 176 बिलियन अमेरिकी डॉलर से लगभग दोगुना कर 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की योजना की रूपरेखा प्रतुत की।
कपड़ा क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने की योजना के तहत मंत्रालय का लक्ष्य मौजूदा 4.5 करोड़ रोजगार को बढ़ाकर 6 करोड़ करना है। इस पहल को 5,300 करोड़ रुपए के बजट आवंटन से समर्थन दिया गया है। उद्योग के लिए एक ओर बड़ी उपलब्धि यह होगी कि आगामी भारत टैक्स प्रदर्शनी में 126 देशों के 6,000 विदेशी प्रदर्शक भाग लेंगे, जो पिछले साल के 3,000 प्रतिभागियों की तुलना में काफी ज्यादा है।
केंद्रीय बजट 2025 से 26 में कपड़ा क्षेत्र के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं। इसमें अतिरिक्त लंबे स्टेपल किस्मों पर विशेष ध्यान देते हुए पांच वर्षीय कपास मिशन शुरू किया गया है। इसके अलावा, राष्ट्रीय कपास प्रौद्योगिकी मिशन के लिए 500 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जबकि कपड़ा मंत्रालय को 5,272 करोड़ रुपए का बजट प्रदान किया गया है, जो पिछले साल के 4,417.03 करोड़ रुपये से 19 प्रतिशत ज्यादा है।
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