गुजरात में नई फसल की आवक में देरी और आपूर्ति संबधी चिंताओं के बीच जीरे की कीमतें 21,200 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं। प्रतिकूल मौसम के कारण फसल की आवक लगभग एक महीने तक टल गई, जिससे गुजरात और राजस्थान में बुआई भी प्रभावित हुई। घरेलू खरीद सीमित है, लेकिन मजबूत निर्यात मांग से कीमतों को सहारा मिल रहा है।
भारतीय जीरा वैश्विक बाजार में सबसे सस्ता बना हुआ है, जिससे चीन समेत कई देशों से आयत बढ़ा है। चीन में कीमतें भारतीय कीमतों से 200 से 250 डॉलर प्रति टन ज्यादा है। अप्रैल-नवम्बर 2024 के दौरान जीरा निर्यात 74.04 प्रतिशत बढ़कर 147,006.20 टन हो गया। हालांकि नवंबर में निर्यात अक्टूबर की तुलना में 28.92 प्रतिशत कम रहा, लेकिन कुल निर्यात में साल दर साल 42.67 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
किसानों के पास अब भी लगभग 20 लाख बोरी जीरा स्टॉक में है, लेकिन सीजन के अंत तक केवल 3 से 4 लाख बोरी की ही खरीदारी होने की संभावना है। ऐसे में लगभग 16 लाख बोरी कैरी फॉरवर्ड स्टॉक रह सकता है। भारत का जीरा उत्पादन 2023 से 24 में 11.8 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 8.6 लाख टन तक पहुंच गया, जबकि 2022 से 23 में यह 9.37 लाख हैक्टेयर से 5.77 लाख टन था।
नई फसल की देरी और आपूर्ति बाधाओं के कारण जीरे की कीमतों में इजाफा हुआ। हालांकि स्टॉक पर्याप्त है और उत्पादन भी पिछले साल के स्तर के बराबर रहने की उम्मीद है। मजबूत निर्यात मांग भारतीय जीरे को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाए रखेगी। आने वाले महीनों में जीरे की कीमतों में स्थिरता बनी रह सकती है, लेकिन निर्यात मांग से कीमतों को समर्थन मिलता रहेगा।
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