भारत में आनुवंशिक रूप से संशोधित जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती को मिली मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ 15 से 16 अप्रैल से सुनवाई शुरू करेगी। जुलाई 2024 में शीर्ष अदालत के विभाजित फैसले के बाद इस मसले पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका था।
न्यायमूर्ति अभय एस.ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहां कि इस मामले में फाइलें बहुत ज्यादा हैं। एक बार जब हम बैठेंगे, तो सुनवाई को पूरी तरह खत्म करेंगे। पीठ में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और उज्जल भियान भी शामिल हैं।
याचिकाकर्ता एनजीओ जिन कैंपेन, रिसर्च फाउंडेशन फॉर साइंस टेक्नोलॉजी और कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स ने अदालत से जीएम सरसों से जुड़े जोखिमों के आकलन के लिए मजबूत नियामक व्यवस्था की मांग की है। जबकि केंद्र सरकार की ओर से जनरल तुषार मेहता और एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि शीर्ष स्तर पर इस पर चर्चा जारी है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहां कि अब जब विशेष पीठ गठित हुई है, तो पहले याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनी जाएं। अदालत ने संकेत दिया कि सुनवाई इस महीने पूरी नहीं हो सकेगी। आपको बता दे कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति की मंजूरी रद्द कर दी, तो जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती रुक सकती है। वहीं अगर अनुमानित मिली, तो यह भारत में जीएम फसलों के लिए एक नया रास्ता खोल सकता है।
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