पश्चिमी महाराष्ट्र के पुणे, सतारा, सांगली और कोल्हापुर जिले गन्ना उत्पादन के लिए प्रसिद्धि हैं। इस साल बारामती में पहली बार कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानि AI की मदद से गन्ने की खेती का सफल प्रयोग किया गया है। यह पहल कृषि विज्ञान केंद्र, बारामती, माइक्रोसॉफ्ट, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और कृषि विकास ट्रस्ट के सहयोग से की गई, जिससे कम लागत में ज्यादा उत्पादन संभव हुआ।
बारामती के कृषि विज्ञान केंद्र ने कृषिक 2025 प्रदर्शनी के दौरान इस तकनीक को प्रदर्शित किया। कृषि विज्ञान केंद्र के निदेशक भूषण गोसावी ने बताया कि एआई के इस्तेमाल से गन्ने की पैदावार 40 प्रतिशत तक बढ़ सकती है, जबकि उत्पादन लागत 20 से 40 प्रतिशत तक कम हो सकती है। इसके अलावा पानी के उपयोग में 30 प्रतिशत तक की बचत संभव है।
गोसावी ने बताया कि 1 मार्च 2024 से शुरू हुए। इस प्रयोग में एक हजार किसानों के खेतों पर सकारात्मक परिणाम देखने को मिले। एआई तकनीक मिट्टी की नमी, तापमान और उर्वरकों की आवश्यकताओं को मापती है और सैटेलाइट आधारित निगरानी से किसानों को सटीक जानकारी उपलब्ध कराती है। एआई तकनीक न केवल उत्पादन में सुधार में मदद करेगी, बल्कि मिट्टी की उर्वरता में सुधार कर किसानों को कार्बन क्रेडिट से भी आर्थिक लाभ दिला सकती है।
एआई से कृषि को होने वाले लाभ
जल बचत: पारंपरिक खेती में 10 महीने में 3.5 लाख लीटर पानी की खपत होती थी, जबकि एआई आधारित खेती में केवल 1.80 लाख लीटर पानी का उपयोग हुआ।
उर्वरकों की खपत घटी: एआई की मदद से 22 प्रतिशत कम उर्वरक और 25 प्रतिशत कम कीटनाशक का इस्तेमाल हुआ।
खेत की निगरानी: सैटेलाइट और सेंसर टेक्नोलॉजी से मिट्टी की गुणवत्ता और नमी की नियमित जांच होती है।
कटाई दक्षता में सुधार: गन्ना कटाई की दक्षता 35 प्रतिशत तक बेहतर हुई।
बारामती में एआई आधारित गन्ना खेती की सफलता इस बात का संकेत देती है कि तकनीक और कृषि के सही समन्वय से किसान कम लागत में ज्यादा उत्पादन, जल संरक्षण और जैविक खेती की ओर बढ़ सकते हैं। यह पहल भारतीय कृषि को एक नई दिशा देने का बड़ा कदम साबित हो सकती है।
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