अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 26 प्रतिशत निर्यात शुल्क का सीधा असर भारत के बासमती चावल निर्यात पर पड़ने जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस शुल्क के चलते भारत के प्रमुख उत्पादक राज्य पंजाब सबसे ज्यादा प्रभावी होगा। पंजाब के बाद हरियाणा और अन्य उत्तरी राज्य इस संकट में आएंगे।
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत से अमेरिका को लाभग 3.15 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया गया था। यह आंकड़ा भारत के कुल 59.42 लाख टन बासमती चावल निर्यात का लगभग 5 हिस्सा है। अब अन्य शुल्क लागू होने के बाद अमेरिका भेजे जा रहे कई शिपमेंट्स अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं, जिससे निर्यातकों और किसानों दोनों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
भारत से बासमती चावल का अधिकांश निर्यात ईरान से 7 लाख टन, सऊदी अरब से 11 लाख टन, इराक से 8 लाख टन, यमन से 3 लाख टन और अमेरिका से 3 लाख टन का होता है। इन पांच प्रमुख बाजारों में से अमेरिका को निर्यात अब संकट की स्थिति में है, जिससे बाजार में मूल्य गिरने और अतिरिक्त स्टॉक जमा होने की आशंका बढ़ गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह शुल्क संरचना अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर अमेरिका की नई आक्रामक नीति का हिस्सा हो सकती है, लेकिन इसका भार भारतीय किसानों और निर्यातकों को उठाना पड़ेगा। वहीं व्यापार संगठन मांग कर रहे है कि भारत सरकार इस मुद्दे पर अमेरिका से राजनयिक स्तर पर बातचीत करे और बासमती चावल जैसे संवेदनशील कृषि उत्पादों को शुल्क से छूट दिलाने का प्रयास करें।
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