पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की जंगीपुर मंडी में 17 से 23 अप्रैल के बीच सामान्य धान की औसत कीमतें 20 रुपए प्रति क्विंटल घटकर 2,365 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गई। यह भाव केंद्र सरकार ने 2024-25 के लिए सामान्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,300 रुपए प्रति क्विंटल और ग्रेड ए के लिए 2,320 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर है।
देश भर की प्रमुख मंडियों में धान की कीमतें फिलहाल 2,200 से 2,400 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बनी हुई हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय चावल निर्यातकों के लिए मिश्रित संकेत हैं। अमेरिका द्वारा प्रस्तावित 26 प्रतिशत आयात कर पर 90 दिनों की रोक भले ही एक अस्थायी राहत लेकर आई हो, लेकिन उद्योग जगत सतर्क है।
फिलहाल इस निर्णय से बासमती चावल निर्यातकों को कुछ राहत मिली है और रुके हुए सौदे आगे बढ़ने की उम्मीद बनी है। हालांकि भारत के 5 प्रतिशत टूटे हुए उबले चावल की कीमतें अब भी गिरकर 22 महीने के न्यूनतम स्तर 387 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं। वैश्विक खरीदारों की सतर्कता और अधिशेष आपूर्ति के कारण मांग में कमी देखी जा रही है।
इस बीच भारत सरकार ने घरेलू स्टॉक हटाने और कीमतों को स्थिर करने के लिए 20 लाख टन चावल के निर्यात की दिशा में प्रतिबंधों को ढीला किया है, जिसमें टूटे चावल की भी अनुमति दी गई है। लेकिन वियतनाम और पाकिस्तान से मिल रही सख्त प्रतिस्पर्धा भारतीय निर्यात पर दबाव डाल ओर रुख कर लिया है, जिससे भारत के पारंपरिक बाजार भी प्रभावित हो रहे हैं।
उत्पादन के मोर्चे पर भारत में स्थिति अनुकूल बनी हुई है। कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, खरीफ चावल उत्पादन 2024-25 में 1206.79 लाख टन तक पहुंच सकता है, जो पिछले साल से 7 प्रतिशत अधिक है। रबी चावल उत्पादन में भी 18 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना जताई गई है। वैश्विक स्तर पर कंबोडिया और म्यांमार जैसे देशों में रिकॉड उत्पादन की खबरें आपूर्ति को और बढ़ा रही हैं।
कृषि मंत्रालय के अधिकारिक आकंड़ों के अनुसार 21 अप्रैल तक धान की गर्मी बुआई का रकबा 31.57 लाख हैक्टेयर तक पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में 14 प्रतिशत ज्यादा है। खरीफ खरीद भी अब तक 772.62 लाख टन तक पहुंच चुकी है। खाद्य निगम के पास अप्रैल 2025 तक 382.09 लाख टन चावल का स्टॉक मौजूद है, जो निर्धारित बफर आवश्यकता से कही ज्यादा है।
अगले कुछ दिनों के दौरान घरेलू चावल के कीमतों पर दबाव बनी रहने की संभावना है। इसलिए कीमतों में और गिरावट की संभावना को देखते हुए कृषि जागृति किसानों को सलाह देती है कि यदि किसानों के पास स्टॉक है, तो उन्हें फसल बेचने पर विचार करना चाहिए। हालांकि अंतिम निर्णय भंडारण लागत, नकदी जरूरतों और सरकारी खरीद तक पहुंच जैसी व्यक्तिगत परिस्थितियों को ध्यान में रखकर लिया जाना चाहिए।
यह भी पढ़े: हरियाणा में अब तक 55.89 लाख टन गेहूं की खरीद हुई पूरी!