मध्य प्रदेश में बागवानी कर रहे किसानों को इस साल जबरदस्त वित्तीय झटका लगा है। फलों और सब्जियों की खेती से जुड़े किसानों को अनुमानित 20 हजार करोड़ रुपए तक का नुकसान हुआ है, जिसकी प्रमुख वजह कटाई के बाद की खराब व्यवस्थाएं, कमजोर बुनियादी ढांचा, बाजार तक सीमित पहुंच और कीमतों में अस्थिरता है।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में टमाटर, तरबूज, फूलगोभी, लौकी, हरी मिर्च जैसी उपजों के दाम औंधे मुंह गिरे हैं। शहरी बाजारों में जहां टमाटर 10 रुपए किलो, तरबूज 15 रुपए किलो और हरि मिर्च 20 से 30 रुपए किलो बिक रही है, वहीं किसानों को खेतों में इनका भाव 2 से 7 रुपए प्रति किलो से अधिक मिल रहा। बड़वानी जिले के किसान वृद्धि चन्द पाटीदार ने बताया कि उन्होंने 12 हजार तरबूज के पौधे लगाए और लगभग 1.62 लाख रुपए की लागत आई, लेकिन मुश्किल से 90 हजार रुपए ही वापिस मिल पाए।
यही नहीं, मंडियों में बिचौलियों का दबदबा और ट्रांसपोर्टेशन से जुड़ी समस्याएं भी किसानों की कमर तोड़ रही हैं। भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधि कमल अंजना ने कहां यह बेहद दयनीय स्थिति है। किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं। मंडियों में पारदर्शिता की कमी और बिचौलियों के वर्चस्व ने किसानों को बाजार में बेबस बना दिया है।
कटाई, भंडारण और परिवहन के दौरान उचित हैंडलिंग न होने के कारण उपज खराब हो रही है। न तो भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था है, न कोल्ड चेन और न ही किसानों को सीधे बाजार से जोड़ने की कोई मजबूत नीति। ऊपर से मंडी के आढ़तिए और ट्रांसपोर्टेशन चार्ज भी किसानों के हिस्से नहीं आते।
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