केंद्र सरकार ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया है, जिनमें यह दावा किया गया था कि वित्त मंत्रालय ने उबले चावल और कुछ मिल्ड चावल किस्मों पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा दिया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऐसी कोई नई शुल्क व्यवस्था लागू नहीं की गई है और मौजूदा शुल्क दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने चावल के निर्यात पर लागू अधिकतर प्रतिबंधों को हटा दिया था। केवल टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखा गया था। इसी दौरान सरकार ने उबले चावल पर सीमा शुल्क को 10 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया था।
और सफेद चावल पर 490 डॉलर प्रति टन न्यूनतम निर्यात मूल्य की अनिवार्यता को भी समाप्त कर दिया गया था। यह कदम विशेष रूप से हरियाणा और पंजाब के गोदामों में भरे पड़े स्टॉक को कम करने और वैश्विक निर्यात मांग का लाभ उठाने के मकसद से उठाया गया था।
भारत ने सितंबर 2022 से खाद्य मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए चरणबद्ध तरीके से चावल निर्यात पर अंकुश लगाना शुरू किया था। सबसे पहले टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया और सफेद चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया। वर्तमान स्पष्टीकरण से यह स्पष्ट है कि चावल निर्यात नीति में कोई नया शुल्क नहीं जोड़ा गया है, और किसान, व्यापारी एवं निर्यातकों को घबराने की जरूरत नहीं है।
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