केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहां कि भारत को साल 2027 तक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में कम से कम 5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर आवश्यक है। उन्होंने चेताया कि 93 प्रतिशत कृषि भूमि पर खाद्यान्न उगाने के बावजूद फसल वृद्धि की दर महज 1.5 प्रतिशत है, जो देश की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर संकेत है।
चौहान ने जोर देकर कहां कि हमें फसलों की उत्पादकता में क्षेत्रीय असमानता को दूर करते हुए राष्ट्रीय औसत उपज हासिल करने पर जोर देना होगा। वे कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थापकों के निदेशकों के वार्षिक सम्मेलन के दौरान संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे।
मंत्री ने कहां कि कृषि उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने में अनुसंधान की भूमिका निर्णायक है। इस वक्त कृषि जीडीपी का सिर्फ 0.4 प्रतिशत हिस्सा ही नवाचार और अनुसंधान पर खर्च किया जाता है, जिसे 1 प्रतिशत तक ले जाने की दिशा में मंथन चल रहा है।
मंत्री ने चेताया कि साल 2047 तक एक किसान के पास औसतन भूमि जोत 1.18 हैक्टेयर से घटकर 0.6 हैक्टेयर रह जाएगी। ऐसे में प्राकृतिक संसाधनों का प्रभावी उपयोग और तकनीकी नवाचार ही समाधान है। उन्होंने यह भी कहां की देश में 4.5 लाख जर्म प्लाज्म मौजूद हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 5 प्रतिशत का ही उपयोग हो रहा है। इसे बढ़ाने की सख्त जरूरत है।
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