भारत में अप्रैल 2025 के दौरान दालों के आयात मूल्य में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में दालों का आयात मूल्य 4110 लाख डॉलर से 23.5 प्रतिशत घटकर 3144 लाख डॉलर रह गया। पीली मटर और मसूर की दाल के आयात में आई भारी गिरावट इस कमी के पीछे मुख्य वजह मानी जा रही है।
चना के विकल्प के रूप में इस्तेमाल होने वाली पीली मटर का आयात अप्रैल 2025 में 4.02 लाख टन से घटकर केवल 29,308 टन रह गया। सरकार ने चना उत्पादन में कमी के चलते दिसंबर 2023 में पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दी थी, जिसके कारण 2024-25 में वार्षिक आयात 11.69 लाख टन से 21.45 लाख टन तक पहुंच गया। हालांकि, यह शुल्क-मुक्त आयात 31 मई को बंद हो रहा है।
मसूर दाल का आयात भी 64,583 टन से घटकर 36,007 टन हो गया। इसके विपरीत, तुअर और उड़द के आयात में वृद्धि हुई। तुअर का आयात 61,978 टन से बढ़कर 98,162 टन हो गया, जबकि उड़द का आयात 55,435 टन से बढ़कर 89,212 टन हो गया। इन दोनों दालों के लिए 31 मार्च 2026 तक शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दी गई है।
विश्लेषकों का मानना है कि पिछले साल की भारी खरीदारी और 2025 में बेहतर मानसून की उम्मीद के चलते घरेलू उत्पादन बढ़ने की संभावना है, जिससे आयात पर निर्भरता और घट सकती है। यदि मानसून अनुकूल रहा और घरेलू उत्पादन लक्ष्य के अनुसार रहा, तो आने वाले महीनों में दलहन आयात में और गिरावट देखी जा सकती है।
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