टमाटर की जैविक खेती, टमाटर एक ऐसा फल व सब्जी है जो कि आलू और प्याज के बाद सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता हैं। इसका प्रयोग हर तरह की सब्जियों में होता है। यह पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली सब्जी भी है। इसका प्रयोग सब्जियों के अलावा सलाद बनाने में भी किया जाता हैं। टमाटर की फसल को साल के किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है। इसका सेवन मानव शरीर के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है।
क्योंकि इसके अंदर कई प्रकार के पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन सी जैसे तत्व उपस्थित होते है। टमाटर की खेती कर व्यापारिक इस्तेमाल भी किया जाता है, सब्जी और सलाद के अलावा टमाटर का ज्यादा प्रयोग सॉस यानी चटनी बनाने में भी कर सेवन करते है। यदि कोई किसान टमाटर की खेती को नियमित रूप से करता है, तो वह इससे अच्छा व्यापार करके खूब पैसा भी कमा सकते हैं।
टमाटर की सबसे प्रमुख किस्में: भारत में टमाटर की प्रमुख किस्में जैसे स्वीट–72, पूसा गौरव, पंजाब केसरी, Vo–3, पूसा सदाबहार, पूसा अर्ली डवार्फ आदि उगाई जाती हैं।
गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों के साथ टमाटर की जैविक खेती
टमाटर की जैविक खेती के लिए सबसे पहले खेत की मिट्टी को उपचारित करना जरूरी है। इसके लिए आपको प्रति एकड़ खेत के लिए 200 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद के साथ 10 किलोग्राम जी–सी पावर या जी–प्रोम एडवांस में 1 लीटर जी–बायो फॉस्फेट एडवांस को मिलाकर पूरे खेत में बिखेर दें।
बीज का उपचार करने के लिए 5 से 10 एमएल जी–पोटाश में टमाटर के बीज को मिलाएं और टमाटर के पौध को उपचारित करने के लिए 5 से 10 एमएल जी–पोटाश को प्रति लीटर पानी में घोल कर उसमें पौधो की जड़ों को 30 मिनट तक डुबाकर रखें।
बुवाई के बाद 10 किलोग्राम जी–सी पावर या जी–प्रोम एडवांस, जी–बायो ह्यूमिक, 40 किलोग्राम यूरिया, 30 किलोग्राम डीएपी, आपस में मिलाकर इस्तेमाल करें एवं सिंचाई के बाद जी–अमीनो प्लस का स्प्रे करें।
टमाटर के पौधो में फूल आने से पहले 20 एमएल जी–बायो ह्यूमिक को 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर स्प्रे करें।
जब पौधो में फूल से फल बनते समय 10 एमएल जी–अमीनो प्लस, 10 एमएल जी–सी लिक्विड को 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर स्प्रे करें।
हमारे किसान भाइयों ध्यान दे टमाटर की खेती करते समय अगर इसकी सही से देखभाल न की जाए तो इसमें कई तरह के रोग एवं कीड़े लगने की संभावना बढ़ जाती है, जैसे कमर तोड़, पर्ण चित्ती, पत्ता मोड़क, उकड़ा विषाणु, कली गलन, अगेती झुलसा, पछेती अंगमारी आदी।
नोट : गैलवे कृषम के सभी जैविक उत्पाद की खासियत यह है कि ये ईको फ्रेंडली हैं और मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों तथा पर्यावरण के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं हैं।
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