आम के एक पेड़ पर उत्तर प्रदेश के लखनऊ के पास मलीहाबाद के रहने वाले हाजी कलीमुल्ला खान ने आम की खेती कर अपनी एक अलग ही पहचान बना ली है। कलीमुल्ला अपनी लगभग 5 एकड़ की भूमि में खेती करते हैं। आम से खास हुए कलीमुल्ला को लोग अब ‘मैंगो मैन’ के नाम से भी जानते हैं। ‘मैंगो मैन’ हाजी कलीमुल्लाह खां एक ऐसे जादूगर हैं।
जिन्होंने एक ही आम के पेड़ पर 300 तरह की प्रजातियों को पैदा किया है। उनके हाथों में जो हुनर है, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इनके द्वारा लगाए एक आम के पेड़ के फलों से अलग-अलग टेस्ट मिलता है। बड़ी दिलचस्प की बात यह है कि राजनेताओं और सेलेब्रिटियों के नाम पर भी इन्होंने आम की प्रजातियों के नाम रखे हैं। इनमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, अखिलेश यादव, ऐश्वर्या राय और महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गज शामिल हैं।
सातवीं में फेल होने के बाद छोड़ दी पढ़ाई
हाजी कलीमुल्लाह खां ने बताया कि वह पढ़े-लिखे नहीं हैं। सातवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद फिर पढ़ने में दिल नहीं लगा। उन्होंने बताया कि वह सातवीं कक्षा तक ही बड़ी मुश्किल से पहुंचे और फेल हो गए। उस समय उनकी मां झांसी में ननिहाल में थीं तो वह वहां पर चले गए।
उन्होंने बताया कि जब 17 दिन बाद झांसी से लौटे तो नर्सरी के काम में लग गए। यह उनका पुश्तैनी काम है। वह कहते हैं कि बचपन से हमारे मिजाज में खोज थी और यह सब जो कुछ भी हुआ है, वह इसी वजह से हुआ है। जमीन पर पेड़ सूखा, दिमाग पर बढ़ता गया
हाजी कलीमुल्लाह खां ने बताया कि नर्सरी में काम करते समय एकदम से उनके दिल में यह बात आई और उन्होंने सात तरह की किस्म का एक पेड़ बनाया। पेड़ के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 1957-1958 की बात है, वह पेड़ सूख गया। 1960 में बारिश इतनी ज्यादा हुई कि वह पेड़ चल नहीं पाया,
लेकिन उनके दिमाग में वह पेड़ बढ़ता रहा। अपने संघर्ष के बारे में बताते हुए वह कहते हैं कि उन्होंने आम का झौवा सिर पर रखा, ट्रक में झिल्ली लगाई, बाग में जमीन में लेटे, आम की पेटियों पर लेटे, इस दौरान उनके हाथों में छाले पड़ गए लेकिन उनके मिजाज में सच्चाई और खोज थी, जिसका परिणाम आज सभी के सामने है।
घीरे-धीरे लुप्त हो गईं आम की प्रजातियां
हाजी कलीमुल्लाह खां कहते हैं कि उन्होंने 1987 में जिस पेड़ पर काम करना शुरू किया, उसमें इस वक्त 300 से ज्यादा अलग-अलग किस्म के आम लगते हैं। वह बताते हैं कि सन 1919 में यहां 1,300 किस्म के आम थे, लेकिन धीरे-धीरे सब लुप्त हो गए। रेहमानखेड़ा सेंट्रल गवर्नमेंट ने आम की वैरायटी में बहुत कुछ बचा लिया,
वरना यह सब जितनी भी नायाब वैरायटी हैं, वह भी लगभग-लगभग लुप्त हो गई हैं। उन्होंने बताया कि यह 300 वैरायटी वाला जो पेड़ है, इसमें एक महीने बाद देखेंगे तो आपको 100 किस्मों के अलग-अलग तरह के आम दिखेंगे।
मेरी योग्यता को कोई ले मुझसे
हाजी कलीमुल्लाह खां कहते हैं कि वह बहुत खुश हैं और कुछ खफा भी हैं। उनका कहना है कि वह पद्मश्री से जरूर खुश हैं, लेकिन उनकी जो योग्यता है वह उनसे ले ली जाए। उन्होंने कहा कि कोई ऐसा व्यक्ति जो सरकार में हो, जिसके लिए वह पद्मश्री अवार्ड वापस राष्ट्रपति को दे दें क्योंकि यह उनके साथ उनकी कब्र में चला जाएगा। वह चाहते हैं कि उनकी दिन-रात की जो मेहनत है, उसका फायदा पूरे मुल्क को हो।
श्रेय: लवकुश, आवाज एक पहल
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