खरीफ सीजन के दौरान, नमी बढ़ने के कारण धान की फसल पर विभिन्न प्रकार के कीटों का हमला हो सकता है। इसमें लिफ हॉपर्स, राइजोम, लिफ हॉपर्स और अन्य कीड़े भी शामिल हो सकते हैं। यदि धान की फसल की गहाई पहले 15 से 20 दिनों के बाद कर ली जाए तो कीड़ों और बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है हमारे किसान भाइयों को, पर पाटा एक छड़ी की तरह होता है।
जिसे फसल के ऊपर रखा जाता है और इससे पत्तियां पानी में डूब जाती हैं, जिससे कीड़े पानी में गिरकर मर जाते हैं। इस तरह किसान बिना किसी कीटनाशक या दवा के शुरुआती दौर में धान की फसल को कीड़ों और बीमारियों से बचा सकते हैं सिर्फ धान की फसल पर पाटा चला कर।
धान की फसल की मड़ाई कितनी बार करनी चाहिए?
धान की पहली निराई-गुड़ाई 15 से 20 दिन बाद करनी चाहिए। यदि आवश्यक हो तो इस प्रक्रिया को 30 से 35 दिनों के बाद दोबारा दोहराना चाहिए। जब खेत में पानी की कमी हो तो पाटा चलाना अधिक लाभदायक हो सकता है हमारे किसान भाइयों को।
इस प्रकार भी किसान अपनी धान की फसल को कीटों से बचा सकते हैं।
किसान अपने खेतों में बत्तख पालकर भी फसल के कीटों और बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं, क्योंकि बत्तखें कीड़े खाते हैं, जिससे फसल को बिना कुछ किए ही हानिकारक कीड़ों से छुटकारा मिल जाता है।
धान के खेतों में मछली पालन करके भी कीटों से छुटकारा पाया जा सकता है। मछलियाँ धान के तने पर लगने वाले कीड़ों को खा जाती हैं और फसल कीड़ों से सुरक्षित रहती है।
प्रारंभिक अवस्था में फसल पर आक्रमण करने वाले कीट कभी-कभी कमजोर भी होते हैं। इसे पानी की तेज बूंदों से भी खत्म किया जा सकता है। कभी-कभी भारी बारिश भी ऐसा कर सकती है।
यह भी पढ़े: सरसों की नई किस्म कर देगी आपको मालामाल, मात्र 94 दिनों में मिलेगी बंपर पैदावार
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए जुड़े रहे कृषि जागृति चलो गांव की ओर से। धन्यवाद