देश में मिर्च एक महत्वपूर्ण मसाला एवं नगदी फसल है। इसकी मांग बाजार में हमेशा ही रहती है। इसके बिना तो हर सब्जी का स्वाद फीका रहता है। किसानों को इससे बढ़िया मुनाफा भी हो रहा है। अगर मिर्च की पांच सबसे उन्नत किस्म की खेती की जाए तो मुनाफे में और बढ़ोतरी हो सकती है। आज हम आपको कृषि जागृति के इस पोस्ट के माध्यम से बताएंगे कि मिर्च की खेती में अधिक उत्पादन कैसे प्राप्त कर सकते हैं और कौन सी उन्नत किस्में सबसे बेहतरीन हैं। जानें कैसे अपनी मिर्च की खेती को विकसित करें और अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सके।
टॉप पांच मिर्च की उन्नत किस्में
काशी अर्ली: मिर्च की ये किस्म लगभग 45 दिनों में तोड़ने लायक हो जाती है। जबकि दूसरी संकर किस्मों को 55 से 60 दिन लग जाता है। पौधे 60 से 75 सेंटीमीटर लंबे तथा छोटी गांठों वाले होते हैं। वही हरे फल का उत्पादन 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है।
महिको नवतेज: इस मिर्च की किस्म मध्यम से उच्च तीखापन और लंबी शेल्फ लाइफ के साथ आती है। किस्म कीटों और रोगों के प्रति से सहनशील होती है, जिससे किसानों को कीटों और रोगों से बचाव करने में मदद मिलती है।
तेजस्विनी: इस किस्म के मिर्च की फलियां मध्यम आकार की होती है। लंबाई लगभग 10 सेंटीमीटर लंबे होते हैं। फसल 75 दिनों में पहली बार तोड़ने लायक हो जाती है। हरे फल का उत्पादन औसतन 200 से 250 क्विंटल तक होता है।
जाहवार मिर्च 148: यह किस्म जल्द पक जाती है, जो कि कम तीखी मिर्च होती है। इसमें कुर्करा रोग का प्रकोप कम होता है। हरी मिर्च लगभग 100 से 105 दिन में तैयार हो जाती है, तो वहीं लाल लगभग 120 से 125 दिन में तैयार होती है। इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 85 से 100 क्विंटल हरी और लगभग 18 से 23 क्विंटल सूखी मिर्च प्राप्त हो जाती है।
अर्का श्वेता: मिर्च की इस किस्म की लम्बाई लगभग 13 से.मी. एवं मोटाई 1.2 से 1.5 से.मी तक होती है। मिर्च की इस किस्म से 30 से 40 टन हरी मिर्च एवं 4 से 5 टन लाल मिर्च प्रति हैक्टेयर के अनुसार पैदावार प्राप्त की जा सकती है। यह किस्म विषाणु रोग के प्रति सहनशील होती है।
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