मूंगफली की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है। लेकिन मूंगफली की खेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए उन्नत किस्मों और खाद का चुनाव करना बेहद जरुरी है। कृषि जागृति के इस लेख में हम आपको मूंगफली की खेती के लिए पांच ऐसी किस्मों के बारें में बताएंगे जिससे अधिक उत्पादन के साथ आप अच्छा मुनाफा भी कमा सकते है।
गंगापुरी: इसकी खेती से कम समय में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस किस्म के पौधों की ऊंचाई जमीन से लगभग एक से डेढ़ फिट ऊपर होती है। बुवाई के 95 से 100 दिनों बाद इसकी खुदाई की जा सकती है। इसके दानों में तेल की मात्रा अधिक पाई जाती है। प्रति एकड़ खेत से 8 से 9 क्विंटल फसल का उत्पादन होता है।
आर.जी.382: यह किस्म 120 दिनों के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके दाने बड़े आकार के होते हैं। प्रति हेक्टेयर खेत से 20 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त होता है।
अंबर: यह उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त किस्मों में से एक है। इसकी फलियों में 72 प्रतिशत तक दाने पाए जाते हैं। प्रति एकड़ जमीन से 10 से 12 क्विंटल तक फसल की उपज होती है। बुवाई से लगभग 115 से 120 दिन बाद फसल की खुदाई की जा सकती है।
दिव्या: इस किस्म की खेती राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात में प्रमुखता से की जाती है। लगभग 125 से 130 दिनों में खुदाई की जा सकती है। प्रति एकड़ खेत से 10 क्विंटल फसल उत्पादन होता है। इसकी फलियों में या दो दाने होते हैं।
आर. जी.425: यह कम फैलाव वाली किस्म है।इसके पौधे कलर रोट नामक बीमारी रोधी होते हैं। यह 120 से 125 दिनों में तैयार हो जाती है।इससे प्रति हेक्टेयर 28 से 36 क्विंटल उत्पादन प्राप्त होता है। दानों का रंग हल्की गुलाबी होती है।
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