टिकाऊ कृषि खाद्य प्रणाली हेतु, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला ने कहां है कि खाद्यान्न की बढ़ती मांग, पर्यावरणीय गिरावट और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों को देखते हुए वैज्ञानिक नवाचारों के माध्यम से कृषि खाद्य प्रणालियों को टिकाऊ उद्यमों में परिवर्तन करने की तत्काल जरूरत हैं।
रूपाला ने कहां कि कृषि वैज्ञानिकों को कृषि उत्पादन प्रक्रिया में अधिक से अधिक मशीनीकरण को शामिल करने और कृषि में महिलाओं के लिए विशेष कृषि उपकरणों को विकसित करने और लोकप्रिय बनाने का प्रयास करना चाहिए। मंत्री रूपाला ने यह भी कहां कि पोक्कली चावल जैसे पारंपरिक कृषि उत्पादों को प्रोत्साहन प्रदान करने की जरूरत है।
साथ ही पोक्कली किसानों के लिए लाभ प्रदान करना सुनिश्चित करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए। उन्होंने सूक्षाव दिया कि फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना उत्पादन को बढ़ावा देने के बराबर है और इसे उन्नत तकनीकी हस्तक्षेपों पर ध्यान केंद्रित करके प्राप्त किया जा सकता है। किसान टिकाऊ कृषि खाद्य प्रणाली को अपनाकर पर्यावरण की रक्षा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
टिकाऊ कृषि खाद्य प्रणाली वह प्रणाली है जो पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक रूप से टिकाऊ हो। यह प्रणाली प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करती है, कृषि उत्पादन को बढ़ाती है, और किसानों की आय को बढ़ाती है। किसानों को इन नवाचारों को अपनाने के लिए सरकार और अन्य संबंधित संगठनों से समर्थन की आवश्यकता होती है। सरकार किसानों को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और अनुसंधान के अवसर प्रदान करके उन्हें टिकाऊ कृषि खाद्य प्रणाली को अपनाने में मदद कर सकती है।
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