केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गांधीनगर के कलोल में देश के पहले नैनो तरल डीएपी संयंत्र का लोकार्पण किया। देश के पहले इस संयंत्र इफको द्वारा स्थापित किया गया हैं। सहकारिता मंत्री ने कहां कि दस साल बाद जब कृषि क्षेत्र में हुए सबसे बड़े प्रयोगों की सूची बनेगी तब इफको के नैनो यूरिया और नैनो डीएपी उसमें शामिल होंगे। शाह ने कहां कि समय की जरूरत है कि यूरिया का उपयोग घटा कर प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ा जाए। इफको की कलोल इकाई ग्रीन टेक्नोलॉजी आधारित नैनो डीएपी की लगभग 42 लाख बोटल का उत्पादन करेगी जिससे निश्चित रूप से किसानों को बहुत फायदा होगा।
शाह ने कहां कि नैनो यूरिया का छिड़काव जमीन पर नहीं बल्कि पौधे पर किया जाता हैं और इससे धरती में मौजूद केंचुओं के मरने और प्राकृतिक तत्वों के नष्ट होने की संभावना शून्य होती हैं। अगर सभी प्राथमिक कृषि ऋण समितियां इफको के साथ मिलकर नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का उपयोग करें तो बहुत जल्द ही हमारी धरती प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ेगी।
नैनो तरल डीएपी एक आधुनिक तकनीक से तैयार किया गया एक उर्वरक है जो पौधों को आवश्यक पोषक तत्वों को अधिक कुशलता से प्रदान करता है। यह पारंपरिक दानेदार डीएपी की तुलना में अधिक प्रभावी है और यह मिट्टी और जल प्रदूषण को कम करने में भी मदद करता है। नैनो तरल डीएपी के लोकार्पण से भारतीय कृषि को कई लाभ होंगे। यह किसानों की उपज बढ़ाने, उनके लागत को कम करने और पर्यावरण को बचाने में मदद करेगा।
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