संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में कहां गया हैं कि भारत में सिंधु गंगा के मैदान के कुछ क्षेत्र पहले ही भूजल की कमी के खतरनाक को पार कर चुके हैं और इसके पूरे उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में साल 2025 तक भूजल उपलब्धता का संकट गंभीर रूप ले सकता है। रिपोर्ट में कहां गया है कि भारत दुनिया में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। जिसका भूजल का उपयोग संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के संयुक्त उपयोग से अधिक है। भारत का उत्तर पश्चिमी क्षेत्र देश की बढ़ती 1.4 अरब आबादी के लिए रोटी की टोकरी के रूप में कार्य करता है।
जिसमें पंजाब और हरियाणा राज्य देश में चावल उत्पादन का 50 प्रतिशत और 85 प्रतिशत गेहूं भंडारण का उत्पादन करते हैं। रिपोर्ट में आगे कहां गया है कि पंजाब में 78 प्रतिशत कुओं को अतिदोहीत माना जा सकता है और पूरे उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में 2025 तक गंभीर रूप से भूजल की कमी देखने को मिल सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है।
भारत में कुल भूजल उपयोग का लगभग 70% सिंचाई के लिए किया जाता है। बढ़ती जनसंख्या और कृषि उत्पादन के लिए बढ़ती मांग के कारण भूजल का दोहन लगातार बढ़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 तक भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में भूजल उपलब्धता गंभीर रूप से कम हो जाएगी। इस स्थिति से कृषि, पेयजल आपूर्ति और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है।
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