रबी सीजन के साथ ही देश में रबी फसलों की बुआई की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इस बीच, सरकार और किसान दोनों अब अपनी आय बढ़ाने के लिए अधिक लाभदायक फसलों की खेती में रुचि दिखा रहे हैं, खासकर काले गेहूं की खेती किसानों का ध्यान आकर्षित कर रही है। कई राज्यों में किसान अब काले गेहूं की खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं।
काले गेहूं की खेती: काले गेहूं की खेती रबी सीजन में ही की जाती है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इसकी बुआई 30 नवंबर तक पूरी हो जानी चाहिए। इसके साथ ही बुआई में देरी से पैदावार भी कम हो सकती है।
बीज की मात्रा एवं बीज उपचार
- यदि बुआई पंक्तियों में की जा रही है तो प्रति एकड़ भूमि में 40 से 50 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होगी।
- छिटकवां विधि से बुआई करने पर अधिक बीज की आवश्यकता होती है।
- यदि छिड़काव विधि अपनाई जा रही है तो प्रति एकड़ खेत में 50 से 60 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होगी।
- यदि बीज को पहले से उपचारित नहीं किया गया है तो बुआई से पहले बीज को उपचारित करना आवश्यक है।
- बीज को प्रति किलोग्राम 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 3 ग्राम ट्राइकोडर्मा या बाविस्टिन से उपचारित करें।
सिंचाई एवं उर्वरक की मात्रा: अधिक उपज की गारंटी के लिए 4 से 5 सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बुवाई के 3 सप्ताह बाद करें। इसके बाद कलियाँ खिलने, बालियां निकलने तथा दानों के पकने के समय सिंचाई करें। बुआई के समय प्रति एकड़ खेत में 50 किलोग्राम डीएपी, 45 किलोग्राम यूरिया, 20 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट का प्रयोग करें। पहली सिंचाई के समय 60 किलो यूरिया डालें।
काले गेहूं का बाजार मूल्य: किसान काले गेहूं की फसल को अपने नजदीकी बाजारों, मंडियों और कृषि संस्थानों में बेच सकते हैं। काले गेहूं की बाजार कीमत 5000 से 6000 रुपये के बीच हो सकती है।
काले गेहूं के फायदे: काला गेहूं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक है और कई बीमारियों को रोकने में भी मदद कर सकता है। इसमें औषधीय गुण होते हैं जिसके कारण इसे शुगर, मोटापा, कैंसर, हृदय रोग और अन्य बीमारियों के खिलाफ फायदेमंद माना जाता है। इसके सेवन से शारीरिक प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ रहती है और किसान इसके उत्पादन से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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