नमस्कार किसान भाइयों, एक किसान भाई ने कृषि संबंधी जैविक समाधान के लिए सवाल पूछे है कि उन्होंने अपने बैंगन की फसल पर तंबाकू झिल्ली कीट की पहचान की हैं और इसे नियंत्रण के लिए जैविक समाधान क्या हैं हम कृषि जागृति के इस पोस्ट में विस्तार से चर्चा करेंगे तो आइए जानते हैं। बैंगन की फसल में तंबाकू झिल्ली कीट पहचान ये है की नए निकले हुए लार्वा पत्तियों को तेजी से खाते हैं, जिसके कारण पत्तियां के ऊतक छिल जाते है और वे पूरी तरह झड़ जाती हैं। बड़े होने पर लार्वा फैल जाते है और रात में पत्तियों को लगातार खाते हैं।
लेकिन ध्यान रहे ये किट केवल बैंगन की फसल पर ही नहीं लगते है बल्कि इन फसलों पर भी जैसे सेब, अंगूर, सेम, खीरा, टमाटर, मिर्च एवं शिमला मिर्च, आलू, बंधगोभी, उड़द एवं मूंग, अरहर और तुअर दाल, कपास, काबुली चना, लहसुन, धान, बाजरा, ज्वार, मक्का, स्ट्राबेरी, केला, शकरकंद, भिंडी, मुंगफली, आम, गुलाब, कॉफी, अनार, फूलगोभी, अमरूद, हल्दी, अदरक, करेला, सूरजमुखी, तंबाकू, भिंडी, गेहूं, सोयाबीन, प्याज आदि फसलों पर भी आक्रमण करते हैं।
बैंगन की फसल में तंबाकू झिल्ली कीट लगने के मुख्य पहचान है की वयस्क किट का शरीर भूरा कत्थई तथा सामने के पंख बहुरंगी होते हैं। जिसके किनारों पर सफेद लहर जैसे चिन्ह हैं। पिछले पारदर्शी सफेद होते हैं, जिसके किनारों और शिराओं के साथ भूरी रेखाएं होती हैं। इनके आक्रमण से पत्तियों पर अत्यंत भक्षण करने से पत्तियां खत्म होती जाति हैं। फिर पत्तियां झड़ने लगती हैं।
कृषि जागृति का सुझाव है की अगर यह किट बैंगन की फसल पर शुरुआती चरण हैं तो आप जैविक नियंत्रण कर सकते हैं। इसके लिए आपको 15 से 20 मिली जी-डर्मा को 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर स्प्रे करें। बेहतर परिणाम के लिए एक सप्ताह के बाद पुनः स्प्रे करें। ध्यान रहे प्रति एकड़ खेत की स्प्रे के लिए 75 लीटर पानी की जरूरत पड़ती हैं।
आपको बता दे ये किट पत्तियों के बजाय मिट्टी में भी रहते हैं तो इसके लिए आपको 500 मिली जी-डर्मा को 200 लीटर पानी में 100 किलोग्राम ग्राम ताजी गोबर डालकर मिश्रण तैयार करें फिर इस मिश्रण को प्रति बैंगन के पौधों में एक या दो मग डालें। यह घोल प्रति एकड़ खेत के लिए हैं।
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