केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार मौजूदा रबी सीजन में कुल 248.59 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में रबी फसलों की बुवाई पूरी हो चुकी है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 257.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में रबी की फसलें बोई गई थी। पिछले वर्ष के मुकाबले रबी फसलों के तहत क्षेत्रफल में 3 प्रतिशत की कमी आई है। चालू रबी सीजन के दौरान गेहूं की बुवाई का रकबा 5 प्रतिशत घटकर 86.02 लाख हेक्टेयर रह गया है। पिछले साल की इसी अवधि में गेहूं का रकबा 91.02 लाख हेक्टेयर पर था।
उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और गुजरात में गेहूं की बुवाई का रकबा घटा हैं, जबकि मुख्य गेहूं उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के चलते फसल के तहत क्षेत्रफल की पूरी जानकारी दर्ज नहीं की जा सकी हैं। रबी की अन्य फसलों में धान और दालों का रकबा घटा है, जबकि मोटे अनाजों के रकबे में वृद्धि देखने को मिल रही हैं। रबी सीजन की मुख्य तिलहनी फसल सरसों का रकबा पिछले साल की 69.31 लाख हेक्टेयर की तुलना में घटकर 68.55 लाख हेक्टेयर रह गया हैं।
सरसों के तहत क्षेत्रफल में कमी के चलते तिलहनी फसलों के कुल रकबे में भी कमी देखने को मिल रही हैं। रबी फसलों के रकबे में कमी से देश के खाद्य सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। गेहूं और सरसों दोनों ही प्रमुख खाद्य फसलें हैं। इनकी कमी से देश में खाद्यान्नों की कमी हो सकती है। सरकार को रबी फसलों के रकबे को बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इसके लिए सरकार किसानों को अनुदान, बीज, और उर्वरक उपलब्ध करा सकती है।
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