तमिलनाडु की इरोड मंडी में 16 से 23 नवंबर के दौरान हल्दी की कीमतों में 308 रुपए प्रति क्विंटल यानी 3.1 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली। 16 नवंबर को हल्दी का भाव 9,640 रुपए प्रति क्विंटल था, जबकि 23 नवंबर को हल्दी का भाव बढ़कर 9,948 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। इसी अवधि के दौरान फिंगर हल्दी की कीमतों में 28 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आई और 10,822 रुपए प्रति क्विंटल पर इसका कारोबार हुआ। किसान और स्टॉकिस्ट मौजूद कीमतों पर अपना स्टॉक बेचना नहीं चाहते।
वे फसल को रोके हुए हैं। नतीजतन मंडियों में हल्दी की आवक घट रही। साथ ही पिछले साल का स्टॉक भी कम हैं। जिसके चलते आने वाले हफ्तों में बाजारों में आपूर्ति घट सकती है। पिछले साल भर के दौरान (नवंबर 22-नवंबर 23) हल्दी की आवक में 16 प्रतिशत की कमी आई है। नई फसल की आवक जनवरी 2024 से शुरू होगी। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अक्टूबर 2023 में जारी अनुमान के अनुसार, देश भर में 3.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में हल्दी की फसल बोई गई है।
देश के प्रमुख हल्दी उत्पादक राज्यों में फसल अच्छी स्तिथि में हैं। बागवानी बोर्ड के मुताबिक इस साल देश में 11.3 लाख टन हल्दी का उत्पादन होगा, जो 2021-22 के 12.2 लाख टन के मुकाबले 7 प्रतिशत कम हैं। व्यापार सूत्रों के अनुसार, हल्दी के लिए निर्यात मांग लगातार बनी हुई है। साल 2022-23 के दौरान भारत ने बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और मलेशिया को 1.534 लाख टन हल्दी और हल्दी से बने उत्पादों का निर्यात किया, जिनका कुल मूल्य 2074.5 लाख डॉलर हैं।
अच्छी निर्यात मांग, खरीफ फसल के तहत क्षेत्र में गिरावट और घटते स्टॉक के कारण अगले 2 से 3 सप्ताह तक हल्दी की कीमतों में मजबूती बनी रह सकती हैं। हम किसानों सलाह देते हैं कि वे कुछ समय तक अपनी फसल रोके रख सकते हैं और बाद में कीमतों में बढ़ोतरी के बाद उसे बेच सकते हैं।
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