केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि सरकार ने इस वर्ष गेहूं में लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्र को जलवायु-प्रतिरोधी किस्मों के तहत लाने का लक्ष्य रखा है। ऐसी किस्मों से उत्पादन में स्थिरता लाने में सहजता होगी। कृषि मंत्री फसलों के संबंध में समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में बताया कि इस साल मानसून की देरी से आमद और फसल माह में कम बरसात से फसलों की बढ़वार प्रभावित हुई, किंतु सितंबर में मानसूनी वर्षा ज्यादातर प्रदेशों में सामान्य रहने से खरीफ का उत्पादन अधिक प्रभावित नहीं होने की संभावना है।
रबी की बुवाई के संदर्भ में बैठक में विभागीय अधिकारियों ने बताया कि मृदा में नमी की औसत मात्रा अच्छी है और बुवाई का कार्य सुचारू रूप से चल रहा है। रबी में औसत 648.33 लाख हेक्टेयर की खेती होती है। वर्तमान समय तक लगभग 248.59 लाख हेक्टेयर की बुवाई हो चुकी है। बिहार में, सरकार ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई उपाय किए हैं। राज्य सरकार किसानों को जलवायु अनुकूलित किस्मों के बीज और अन्य कृषि inputs उपलब्ध कराने के लिए सब्सिडी दे रही है।
सरकार किसानों को जलवायु अनुकूलित किस्मों की खेती के लिए प्रशिक्षण भी दे रही है। बिहार में इस वर्ष गेहूं का रकबा लगभग 11 लाख हेक्टेयर है। राज्य सरकार का लक्ष्य इस रकबे में से 6.6 लाख हेक्टेयर में जलवायु अनुकूलित किस्मों की खेती करना है। जलवायु-प्रतिरोधी गेहूं की किस्मों की खेती भारत में खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
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