गन्ने की खेती एक व्यवसाय बन गई है क्योंकि यह एक नकदी फसल है। इसकी खेती से किसान लाखों का मुनाफा कमा रहे है। बाजार में इसकी मांग ज्यादा बनी रहती है। चीनी का उत्पादन गन्ने पर निर्भर करता है। गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए अच्छी मेहनत की जरूरत होती है। सर्दियों में इसकी खेती अगेती धान के बाद आसानी से की जाती है। आज हम आपको गन्ने की अधिक पैदावार देने वाली टॉप 5 शरदकालीन गन्ने की किस्मों के बारे में जानकारी देने जा रहे है।
सर्दियों में उगाई जाने वाली गन्ने की बेहतर किस्में
गन्ने की सीओ- 0124 (करण-5) किस्म: गन्ने की सीओ- 0124 (करण-5) किस्म को गन्ना प्रजनन संस्थान क्षेत्रीय केंद्र करनाल द्वारा वर्ष 2010 में विकसित किया गया है। यह देर से पकने वाली किस्म है। यह जलभराव और भराव दोनों स्थितियों में अच्छी उपज देती है। इसकी खास बात यह है कि गन्ने की यह किस्त लाल सड़न रोग के प्रति प्रतिरोधी है।
सीओ -0237 (करण-8): गन्ने की सीओ -0237 (करण-8) किस्म को गन्ना प्रजनन संस्थान क्षेत्रीय केंद्र करनाल द्वारा वर्ष 2012 में विकसित किया गया है। यह एक अगेती किस्म है। ये लाल सड़न रोग के प्रति रोगरोधी किस्म है। यह किस्म जल जमाव के प्रति भी सहनशील है। इस किस्म को हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्य उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है।
गन्ने की किस्म CO-0118 (करण-2): गन्ने की CO-0118 यानी करन-2 किस्म लाल सड़न रोग के प्रति प्रतिरोधी है। इसके गन्ने लंबे, मध्यम, मोटे और भूरे बैंगनी रंग के होते हैं। CO 0118 में हालांकि रस की गुणवत्ता इससे बेहतर है। लेकिन सीओ 0238, गन्ने की उपज थोड़ी कम है।
सीओ 05011 (करण-9): गन्ने की सीओ 05011 (करण-9) की प्राप्त उपज की बात की जाए तो गन्ने की इस किस्म से औसत उपज 34 टन प्रति एकड़ प्राप्त की जा सकती है।
सीओ 0238 (करण-4): अब बात की जाए इस किस्म से प्राप्त उपज की तो गन्ने की सीओ 0238 (करण-4) से करीब 32.5 टन प्रति एकड़ तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस किस्म की रिकवरी दर 12 प्रतिशत से अधिक है। इस किस्म की खेती सबसे ज्यादा पंजाब में होती है। यहां करीब 70 प्रतिशत किसान इसकी खेती करते हैं।
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