रबी फसलों के रकबे में गिरावट लगातार दूसरे सप्ताह भी जारी रही। गेहूं के तहत क्षेत्रफल में कमी के कारण रबी सीजन के लिए शीतकालीन फसलों की बुवाई में 5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। सर्दियों के मौसम की एक महत्वपूर्ण फसल गेहूं के रकबे में पिछले साल की तुलना में 4.8 प्रतिशत की कमी देखी गई है। गेहूं का रकबा 141.87 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 149.05 लाख हेक्टेयर पर था।
बीते हफ्ते 18 से 24 नवंबर के दौरान केवल 55.85 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई, जो पिछले साल की इसी अवधि में 58.03 लाख हेक्टेयर से कम हैं। रबी दलहन में विशेषकर चना और मसूर की बुवाई में क्रमशः 8.5 प्रतिशत और 5.9 प्रतिशत की कमी आई है। ज्वार, मक्का और जौ जैसे मोटे अनाजों की बुवाई में भी पिछले वर्ष की तुलना में कमी देखी गई है। सरसों की बुवाई सामान्य रकबे से अधिक हो गई है, जबकि मूंगफली का रकबा घटा है। धान का रकबा 9.15 लाख हेक्टेयर से घटकर 8.41 लाख हेक्टेयर हो गया हैं।
रबी फसलों का रकबा घटने से देश की खाद्य सुरक्षा पर खतरा पैदा हो सकता है। सरकार को इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए और किसानों को प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि वे रबी फसलों की बुवाई बढ़ा सकें। रबी फसलों के रकबे में कमी के कारणों और प्रभावों पर एक विस्तृत अध्ययन करने के लिए सरकार ने एक समिति का गठन किया है। समिति को रिपोर्ट सौंपने के लिए छह महीने का समय दिया गया है। समिति की रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा कि रबी फसलों के रकबे में कमी के क्या कारण हैं और इसका देश की खाद्य सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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