वियान के कोमप्लेक्सिटी साइंस हब (सीएसएच) और ऑस्ट्रिया सप्लाई चेन इंटेलिजेंस इंस्टीट्यूट (एएससीआईआई) के एक संयुक्त अध्ययन में चावल आयातक देशों को अपनी चावल की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत के अलावा दूसरे बाजार तलाशने की सलाह दी गई है।अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि भारत के चावल निर्यात पर प्रतिबंध 2024 में भी जारी रहेंगे, जिसके चलते वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में वृद्धि बनी रह सकती है।
गौरतलब है कि वैश्विक चावल निर्यात में भारत की लगभग 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। मध्य पूर्वी, अफ्रीका और आसपास के देश अपनी चावल की जरूरतों के लिए भारत से होने वाले आयात पर निर्भर हैं। मालूम हो कि भारत सरकार द्वारा जुलाई 2023 से ही गैर बासमती और टूटे हुए सफेद चावल के निर्यात को रोक दिया गया है। उबले चावल के निर्यात पर भी 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया हैं। साथ ही बासमती चावल के निर्यात के लिए भी 950/टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य निर्धारित किया गया है।
इसके चलते भारत में चावल की कीमतों में 11.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि दूसरे और तीसरे सबसे बड़े निर्यातक थाइलैंड और वियतनाम में चावल की कीमतों में क्रमशः 14 प्रतिशत और 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। भारत सरकार ने मित्र देशों की खाद्य सुरक्षा की चिंताओं देखते हुए राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) द्वारा समर्थित राजनयिक अनुरोधों के आधार के आधार पर गैर बासमती चावल का निर्यात जारी रखा है। अध्ययन में अफ्रीकी और मध्य पूर्वी देशों के लिए गंभीर परिणामों की चेतावनी दी गई है।
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