चालू वित्त वर्ष की अप्रैल सितंबर अवधि के दौरान दालों के आयत में भारी उछाल देखने को मिला हैं। दालों का आयत दोगुना से भी अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। देश के प्रमुख दलहन उत्पादक क्षेत्रों में अनियमित और अपर्याप्त वर्षा ने दलहन की खेती को बुरी तरह प्रभावित किया, जिससे आयात पर निर्भरता बढ़ गई। दालों के आयात में यह असाधारण वृद्धि आनेवाले दिनों में सरकार के लिए चुनौती बन सकती है।आधिकारिक आंकड़ों से मिली जानकारी के अनुसार दालों के आयात में 113 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
चालू वित्त वर्ष की अप्रैलए-सितंबर की अवधि के दौरान भारत का कुल दालों का आयात 14.85 लाख टन से दर्ज किया गया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 6.98 टन पर था। मसूर दाल के आयात में सबसे ज्यादा 184 प्रतिशत की असाधारण वृद्धि दर्ज की गई। मगर मसूर दाल का आयात साल भर पहले के 2.81 लाख टन से बढ़कर 8.02 लाख टन तक पहुंच गया है। तुअर यानी अरहर दाल का आयात भी 75 प्रतिशत बढ़कर 2.74 लाख टन तक पहुंच गया। उड़द के आयात में भी लगभग 39 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
दालों के आयात में यह वृद्धि अनियमित और अपर्याप्त वर्षा के कारण घरेलू उत्पादन प्रभावित होने के कारण हुई है। मसूर, अरहर और उड़द की मांग में वृद्धि भी आयात में वृद्धि के लिए जिम्मेदार है। दालों के आयात में वृद्धि से देश के खाद्य सुरक्षा पर चिंता बढ़ गई है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और उपभोक्ता है। हालांकि, घरेलू उत्पादन मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
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