टमाटर की फसल के फलों में कई प्रकार के कीट लगते हैं। जिनमें से एक है हेलिकोवर्पा कैटरपिलर, टमाटर के अलावा यह कीट कई अन्य फसलों जैसे जौ, सेम, फूलगोभी, पत्तागोभी, चना, बैंगन, लहसुन, मसूर, मक्का, मटर, प्याज, भिंडी, शिमला मिर्च, आलू, गेहूं आदि को भी नुकसान पहुंचाते है। कृषि जागृति के इस पोस्ट से किट की पहचान, लक्षण एवं हेलिकोवर्पा कैटरपिलर के प्रकोप और नियंत्रण के तरीके।
हेलिकोवर्पा कैटरपिलर किट की पहचान: पूर्ण विकसित इल्लियों की लंबाई 24 से 30 सेंटीमीटर होती है। ये हरे, पीले और भूरे रंग के होते हैं। ये कीट फूलों और पौधों की नई पत्तियों पर समूह में अंडे देते हैं। इस कीट के अंडे सफेद से लेकर भूरे रंग के होते हैं। ये रात में अधिक सक्रिय होते हैं।
हेलिकोवर्पा कैटरपिलर किट के प्रकोप के लक्षण: छोटी इल्लियाँ पत्तियों के हरे भाग को खाती हैं। बड़ी इल्लियाँ पत्तियों सहित फूलों को खाकर फसल को नष्ट कर देती हैं। ये इल्लियाँ पत्तियों के अलावा फलों में भी छेद कर देती हैं और उन्हें अन्दर से खा जाती हैं।
हेलिकोवर्पा कैटरपिलर नियंत्रण के तरीके: इस कीट के नियंत्रण के लिए खेत में फेरोमोन ट्रैप लगाएं। यदि संभव हो तो कीड़ों के अंडों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें। खेत में खरपतवार नियंत्रण करें। इल्लियों को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पौधों को नष्ट कर दें। इस कीट के नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी के टैंक में 20 मिली जी-स्यूडो प्लस मिलाकर छिड़काव करें कब जब ये किट टमाटर के शुरुआती चरण में हो। बेहतर परिणाम के लिए एक सप्ताह बाद पुनः स्प्रे करें। ध्यान रहे प्रति एकड़ खेत के लिए 75 से 100 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती हैं।
Not: अगर आप टमाटर की खेती कर रहे है तो आप मिट्टी एवं बीज को उपचारित करके बुवाई करें। साथ ही पौध को भी उपचारित करें और अपने खेत में जैविक उर्वरकों का ज्यादा इस्तेमाल करें।
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