सरकार ने गेहूं की बढ़ती कीमतों की जमाखोरी रोकने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और प्रोसेसिंग फर्मों के लिए गेहूं का भंडार (स्टॉक) रखने के मानदंडों को सख्त कर दिया है। ट्रेडर्स होलसेलर्स के लिए गेहूं की स्टॉक लिमिट को घटाकर 2000 टन से घटाकर 1000 टन कर दिया है।
उपभोक्ता मामलों और खाद्य आपूर्ति एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी कर ये जानकारी देते हुए बताया कि नए समीक्षित नियम के अनुसार गेहूं की बढ़ती कीमतों में कमी लाने के लिए सरकार ने स्टॉक लिमिट की समीक्षा करते हुए ट्रेडर्स और होलसेलर्स के लिए स्टॉक लिमिट को 2000 टन से घटकर 1000 टन, रिटेलर्स के लिए 10 टन से घटाकर 5 टन, बिग चेन रिटेलर्स के लिए ऑउटलेट के लिए 10 टन से घटाकर 5 टन और डिपो के लिए 2000 टन से घटाकर 1000 टन कर दिया गया है।
ट्रेडर्स व्यापारियों के पास मात्र 30 दिनों का समय
सरकार ने कहा कि जिन ट्रेडर्स व्यापारियों के पास तय स्टॉक लिमिट से ज्यादा स्टॉक मौजूद है उन्हें 30 दिनों के भीतर तय लिमिट के भीतर स्टॉक को लाना होगा। आपको बता दें कि देश में गेहूं की आर्टिफिशीयल कमी पैदा ना हो इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार स्टॉक लिमिट की मॉनिटरिंग करती रहेंगी।
यह भी पढ़े: इस राज्य में मिल रहा है कपास का सबसे ज्यादा कीमत, जानिए क्या है वजह?
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े रहे या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें। धन्यवाद