केंद्र सरकार ने जूट वर्ष 2023-24 के दौरान पैकेजिंग में जुट थैलों के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाने के लिए आरक्षण नियम मंजूर कर लिया है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में इसका निर्णय लिया गया। जूट वर्ष एक जुलाई से 30 जून तक होता है। अनिवार्य पैकेजिंग नियम के अनुसार खाद्यान्न वस्तुओं की पैकेजिंग में शत-प्रतिशत जूट के थैलों का इस्तेमाल किया जाएगा, जबकि चीनी की पैकेजिंग में 20 प्रतिशत जूट के थैलों का इस्तेमाल किया जाएगा।
एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार इससे भारत में घरेलू क्षेत्र में कच्चे जूट का उत्पादन का उत्पादन बढ़ेगा। इस फैसले से जूट मिलों और सहायक इकाइयों में काम करने वाले 4 लाख श्रमिकों को राहत मिलने के साथ ही लगभग 40 लाख किसान परिवारों को समर्थन मिलेगा। इस निर्णय को आम तौर पर सकारात्मक रूप से देखा गया है। पर्यावरणविदों का मानना है कि यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। जूट उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि यह निर्णय उनके उद्योग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
पैकेजिंग में जुट थैलों का इस्तेमाल अनिवार्य करने से पर्यावरण संरक्षण, जूट उद्योग को बढ़ावा और किसानों की आय में वृद्धि जैसे कई लाभ होंगे। हालांकि, जूट की उपलब्धता, कीमत और गुणवत्ता जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, इन चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक होगा। कुल मिलाकर, पैकेजिंग में जूट थैलियों का इस्तेमाल अनिवार्य करना एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है। यह पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा के लिए फायदेमंद होगा।
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