राजाथान के कृषि विज्ञान द्वारा कृषि आयुक्तालय में बीटी कपास की फसल में गुलाबी सुंडी के प्रकोप के प्रबंधन के लिए राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। कृषि एवं उद्यानिकी सचिव डॉ पृथ्वी ने इस कार्यशाला की अध्यक्षता की। कार्यशाला के दौरान खरीफ सीजन 2023 में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ जिलों में बीटी कपास की फसल में गुलाबी सुंडी के प्रकोप से हुए नुकसान के कारणों एवं विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। साथ ही गुलाबी सुंडी के जीवन चक्र, उसके द्वारा किए गए आर्थिक नुकसान स्तर के प्रकोप आदि पर भी विस्तृत रूप से चर्चा की गई।
डॉ पृथ्वी ने कहां कि मई, जून और जुलाई में सामान्य से अधिक बारिश व कम तापमान के कारण किट को अनुकूल वातावरण मिलने से किट का प्रकोप बढ़ा है। लेकिन सितंबर माह में हुई बारिश के बाद टिंडा गलन भी नुकसान का भी यही मुख्य कारण रहा। विचार विमर्श के दौरान एचडीजी सीडस व अन्य वैज्ञानिकों द्वारा कीट प्रकोप से बचाव के लिए निम्न उपाय बताएं गए है जिसमे जैविक नियंत्रण बताया गया है। जिन किसान भाइयों को ये उपचार पसंद हो तो वो अपनी कपास की फसल को जल्द से जल्द बचा सकते हैं।
विभागीय सिफारिश अनुसार सही समय पर फसल की बुवाई करें। कपास की बुवाई करने से सबसे पहले मिट्टी को उपचारित कर लें। इसके लिए आप 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई भुरभुरी व थोड़ी नमी वाली गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट के साथ 10 किलोग्राम जी-सी पावर एवं 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस और 4 किलोग्राम जी-वैम को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर 30 मिनट हवा लगने के बाद प्रति एकड़ खेत में दो जुताई करने के एक से दो दिन बाद संध्या के समय छिड़काव कर दो बार जुताई करें।
फिर उच्च गुणवत्ता के बीज प्राप्त कर, बीज को उपचारित कर बुवाई करें। बीज उपचार करने के लिए 10 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस या 10 मिली जी-डर्मा प्लस प्रति किलोग्राम बीज में मिलाकर कर 15 से 20 मिनट तक हवा लगने के बाद बुवाई करें। फिर कपास की फसल पर किट की निगरानी हेतु फैरोमेन ट्रेप लगाएं या सही समय पर उच्चित मात्रा में जैव उर्वरकों एवं पोषक तत्वों का छिड़काव सकते हैं एवं कम ऊंचाई वाली व कम अवधि में पकने वाली किस्म को प्राथमिकता दें।
कपास की फसल 45 से 60 दिन की होने पर नीम आधारित जैविक कीटनाशक का छिड़काव करें या कोई अन्य जैविक कीटनाशक का छिड़काव भी कर सकते हैं। अन्य जैविक कीटनाशक के तौर पर 15 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस या 15 जी-डर्मा प्लस को 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर स्प्रे करें। कपास की फसल 60 से 120 दिन की होने पर 15 मिली जी-स्यूडो प्लस या 15 मिली जी-डर्मा प्लस को 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
कपास की पहली या दूसरी व तीसरी सिंचाई के समय 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट के साथ 10 किलोग्राम जी-सी पावर और 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर कर 30 मिनट हवा लगने के बाद प्रति एकड़ खेत में छिड़काव कर सिंचाई करें।
अगर अपने ये कार्य करके कपास की फसल बुवाई की तो रोग व किट लगने के संभावना कम रहती है क्योंकि कपास की फसल में मौजूदा समय में पोषक तत्व मौजूद बने रहते है जिससे फसल रोगों और बीमारियों से लड़ने में सक्षम रहता है और फसल किसी भी रोग व किट से जल्दी प्रभावित नहीं होती है। अगर अपने ये कार्य करके कपास की फसल की बुवाई नहीं कर रहे है तो कपास की फसल पर रोग व किट लगने की संभावना अधिक रहती है।
जिससे कपास की फसल कभी भी रोग व किट से प्रभावित हो सकती है, क्योंकि मौजूदा समय में फसल में पोषक तत्व मौजूद नहीं रहते जिससे फसल रोग व कीटों से लड़ने में अक्षम रहता है। इसलिए हमारे किसान भाइयों फसल को हर समय निरक्षण करते रहे और रोग व किट लगने का अनुमान लगे तो तुरंत जैविक नियंत्रण करें न की रासायनिक नियंत्रण। रसायनिक नियंत्रण तब करे जब फसल पर तीव्र गति से रोग व किट फैल रहे हो।
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