मौजूदा समय में लहसुन की कीमत चरम पर पहुंच गई है। जैसा कि आप सभी जानते है लहसुन के दाम कभी एक जैसे नहीं रहते है और आज कल इसकी कीमत 400 रुपये प्रति किलो हो गई है। ऐसे में लहसुन की खेती किए हुए हमारे किसान भाई अच्छी आय कमा सकते हैं, लेकिन इससे पहले लहसुन की फसल में लगने वाले रोगों के प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।
लहसुन की फसल को थ्रिप्स हमले से नुकसान
लहसुन एक गेहूं जैसी फसल है, जिसमें एल्सिन नामक तत्व पाया जाता है, जिसके कारण इसमें एक विशेष गंध और तीखा स्वाद होता है। लहसुन में कई तरह के रोग और कीटाणु लग सकते हैं, लेकिन इनमें से सबसे खतरनाक है थ्रिप्स कीट। इसके आक्रमण से किसानों को लहसुन की फसल में 50 से 60% तक उपज का नुकसान हो सकता है। थ्रिप्स कीट तेजी से फैलने वाली बीमारियों में से एक है और इसके लिए समय पर लहसुन की फसल का देखभाल की आवश्यकता होती है।
फसल को सुरक्षित रखने के लिए उसकी देखभाल और जैविक कीटनाशक उपयोग में लाना बहुत जरूरी हैं। तो आइए किसान भाइयों कृषि जागृति के इस पोस्ट में लहसुन की फसल में लगने से इस कीट से कैसे बचा सकते हैं। इस रोग के निदान के लिए डायमेथोएट 30 ईसी या इमिडाक्लोप्रिड एक मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। लैम्ब्डा सिहलोथ्रिन 2.5 या पांच प्रतिशत का भी उपयोग किया जा सकता है। 2.5 प्रतिशत दवा 400 मिलीलीटर में तथा पांच प्रतिशत दवा 250 मिलीलीटर प्रति एकड़ में प्रयोग की जा सकती है।
अगर हमारे किसान भाई जैविक विधि से इस कीट का निधान करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको लहसुन की बुवाई से पहले मिट्टी को उपचारित करें जैव उर्वरकों के मिश्रण से। फिर इसके बाद लहसुन के बीज को उपचारित करें। जैविक कीटनाशक से। फिर बुवाई करें। बुवाई करने के बाद लहसुन की पहली सिंचाई करने से पहले 100 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट में 10 किलोग्राम जी सी पावर और 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस और 4 किलोग्राम जी-वैम को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर 30 मिनट हवा लगने के बाद प्रति एकड़ खेत में छिड़काव कर सिंचाई करें। ऐसा करने से लहसुन की फसल में रोग व किट लगने की संभावना कम रहती हैं।
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