केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने रांची में देश की पांचवीं एवं पूर्वी क्षेत्र की पहली अत्याधुनिक शहद परीक्षण प्रयोगशाला तथा एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र, बांस संवर्धन परियोजना एवं अन्य परियोजनाओं का शिलान्यास किया। कृषि मंत्री ने कहां कि इस क्षेत्र में शहद उत्पादन की काफी संभावना है, जिसका उपयोग किसानों की आय बढ़ाने के लिए किया जाना चाहिए। क्षेत्र की लगभग 30 प्रतिशत भूमि जंगल से ढकी हुई है, जिसमें प्रचुर मात्रा में फसलें, फल, सब्जियां और जंगली पेड़ हैं, जो शहद उत्पादन के लिए सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र से कभी शहद का निर्यात नहीं हुआ। जबकि शहद उत्पादन के लिए यह एक बड़ा क्षेत्र है। रांची में नई प्रयोगशाला बनने से पुर्वी भारत शहद हब के रूप में विकसित होगा। शहद उत्पादकों को घरेलू बाजार में विस्तार व निर्यात के अवसर मिलेंगे। अर्जुन मुंडा ने कहां कि देश में शहद का उत्पादन बढ़ रहा है और इसका निर्यात भी बढ़ रहा है। शहद परीक्षण प्रयोगशाला उत्पादित शहद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद करेगी। मधुमक्खी बॉक्स निर्माण इकाइयां शहद उत्पादन को बढ़ाने में मदद करेगी।
उन्होंने कहां कि व्यापार, ब्रांडिंग और विपणन इकाइयां घरेलू व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शहद की बिक्री को बढ़ावा देने में मदद करेगी। साथ ही, मधुमक्खी पालकों और किसानों को भी लाभान्वित करेगी और झारखंड मीठी क्रांति का हब बनेगा। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसान व मधुमक्खी पालक शामिल हुए। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन व शहद मिशन एवं कृषि विज्ञान केंद्र खूंटी, रांची, गुमला, सिमडेगा, सराइकेला, पश्चिम सिंहभूम सहित विभिन्न संस्थान सहभागी रहे।
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