देश में शादियों का सीजन कुछ समय के लिए थमने के कारण चने से बने उत्पाद चना दाल और बेसन की मांग में कमी के चलते कीमतों में गिरावट आई है। शुक्रवार को चना कांटा 50 से 75 रुपये घटकर अधिकतम 5950 और न्यूनतम 5850 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। वही काबुली चने में सुधार आई है। सटोरिये काबुली चने में एक दिन तेजी दूसरे दिन मंदी का खेल पिछले चार-पांच दिनों से चल रहा हैं।
गुरुवार को आई 500 रुपये की मंदी के बाद शुक्रवार को बाजार फिर 200 रुपये उछल गए हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि इस बार काबुली चने का उत्पादन बंपर है और मंडियों में आवक का प्रेशर भी बनने लगा है। कीमतें काफी हद तक नीचे जा चुकी है। कुछ व्यापारी आवक बढ़ने पर और मंदी की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन सटोरिये कागजी सौदों के चलते बाजार टूटने नहीं दे रहे हैं। वही मसूर में नरमी देखने को मिल रही है। मसूर की अच्छी आवक के कारण कीमतों में कमी आई है।
मसूर घटकर 5900 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। इन दामों पर भी व्यापार बेहद कमजोर देखा जा रहा है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चने और काबुली चना की कीमतें कई कारकों से प्रभावित होती हैं, और ये कारक समय के साथ बदल सकते हैं। चने की कीमतों में गिरावट और काबुली चना में सुधार किसानों और व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण है। किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिलने की संभावना है, जबकि व्यापारियों को मुनाफा कमाने का अवसर मिलेगा।
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