खीरे की जैविक फसल से अच्छी फलन प्राप्त करने के लिए हमारे किसान भाइयों को कई मुख्य बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। जिसमें खरपतवार की अधिकता, पोषक तत्वों की कमी आदि शामिल हैं। अगर हमारे किसान भाई भी किए हुए है खीरे की जैविक खेती तो कृषि जागृति के इस पोस्ट में जान सकते है की खीरे की जैविक फसल से अच्छी फलन लेने के लिए किए जाने वाले जैविक कार्य कौन-कौन से है।
खीरे की जैविक फसल से अच्छी फलन के लिए रखे इन बातों का खास ध्यान
खीरे के पौधों को उच्चित विकास के लिए उचित मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती हैं। जो हमारे किसान भाई जैव उर्वरकों से पूर्ति कर सकते हैं। जिसमें आप जी-सी पावर और जी-प्रोम एडवांस और जी-बायो ह्यूमिक को इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही गोबर की खाद और वर्मी कम्पोस्ट और केंचुआ खाद भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
खीरे के पौधों में 4 से 5 पत्तियां आ जाने पर 10 किलोग्राम नाइट्रोजन का छिड़काव करें। इसके लिए आप 10 किलोग्राम जी-सी प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें। ध्यान रहे खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी बना रहें।
बुआई से 25 से 30 दिन बाद 10 किलोग्राम नाइट्रोजन का दोबारा छिड़काव करें। इसके लिए आप इस बार 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें। ध्यान रहे खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी बना रहें।
खरपतवार पर नियंत्रण करें। कई बार खरपतवार की अधिकता के कारण पौधों को सही मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। जिस जैव उर्वरक का अपने छिड़काव किया होता है। जिससे पैदावार में कमी आती हैं।
खीरे के पौधों को उच्चित विकास के लिए 150 लीटर पानी में एक लीटर जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें।इसके अलावा 150 लीटर पानी में 100 किलोग्राम ताजी गोबर की खाद में एक लीटर जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में लगाएं गए पौधों की जड़ों में एक से डेढ़ मग डालें। ध्यान रहे खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी बना रहें।
खीरे की जैविक फसल में फूल और फलों के अच्छे विकास के लिए 150 लीटर पानी में 100 मिली जी-बायो ह्यूमिक और 100 मिली जी-सी लिक्विड और 100 मिली जी-अमीनो प्लस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें। बेहतर परिण्म के लिए 10 दिन के बाद पुनः स्प्रे करें। इससे फूल झड़ने की समस्या तो कम होगी साथ ही फूलों और फलों की मात्रा में वृद्धि भी होगी।
खीरे के पौधों में सुक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए कृषि जागृति द्वारा बताए गए कार्यों को करें। इनके प्रयोग से बोरोन, आयरन, मैंगनीज, कॉपर, जिंक एवं मॉलीबेडनुम की पूर्ति होगी।
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