पंजाब सरकार ने आगामी खरीफ सीजन 2024 में धान की पराली प्रबंधन के लिए 500 करोड़ रुपए का बजट रखा है। इस राशि का उपयोग इन-सीटू यानी मिट्टी में मिलाने और एक्स-सीटू यानि बाहरी उपयोग दोनों तरह से पराली प्रबंधन के लिए किया जाएगा। राज्य के कृषि विभाग और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस योजना को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशकों के अनुसार लागू कर रहे हैं।
धान कटाई के बाद पराली जलाने को दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने का एक प्रमुख कारण माना जाता है। हालांकि आकाश परियोजना के तहत किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि अक्टूबर नवंबर में दिल्ली एनसीआर का प्रदूषण मुख्य रूप से स्थानीय कारणों से होता है, और पंजाब हरियाणा में पराली जलाने का योगदान केवल 14 प्रतिशत था।
पंजाब में पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। पिछले साल के आंकड़ों के अनुसार पंजाब में 2024 के खरीफ सीजन में पराली जलाने के 10,909 मामले दर्ज किए गए, जो 2023 के 36,663 मामलों की तुलना में काफी कम हैं। इसी मुद्दे पर 4 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश दिए थे।
राज्य कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि समयपूर्ण तैयारी से बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सकता है, इसलिए सरकार ने अभी से काम शुरू कर दिया है। कृषि विभाग ने जिला कृषि अधिकारियों को किसानों, ग्राम पंचायतों और कस्टम हायरिंग समूहों से मशीनों की मांग को लेकर प्रस्ताव करने के निर्देश दिए हैं।
यह भी पढ़े: खुदरा विक्रेताओं को दालों की कीमतों में कटौती के निर्देश!
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती से संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें।