उत्तर प्रदेश में रबी विपणन सीजन 2025-26 के तहत 17 मार्च से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी पर गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो गई है, लेकिन राजधानी लखनऊ में गेहूं की सरकारी खरीद की रफ्तार सुस्त बनी हुई है। बाजार में गेहूं का भाव एमएसपी से ज्यादा होने के कारण किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
लखनऊ में सदर, बीकेटी, मलीहाबाद, सरोजनीनगर और मोहनलालगंज तहसीलों में कुल 45 गेहूं केंद्र स्थापित किए गए हैं, लेकिन अब तक वहां कोई खरीद नहीं हुई है। प्रदेशभर में 6,500 क्रय केंद्रों पर 15 जून तक गेहूं की सरकारी खरीद चलेगी। इन केंद्रों पर रविवार और अन्य अवकाशों को छोड़कर रोज सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक गेहूं खरीदा जाएगा।
गेहूं की खरीद में सुस्ती का मुख्य कारण बाजार में समर्थन मूल्य से ज्यादा गेहूं के दाम मिलना बताया जा रहा है। सरकार ने इस सीजन के लिए गेहूं का एमएसपी 2,425 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले साल से 150 रुपए ज्यादा है। व्यापारी किसानों के घरों तक पहुंचकर उन्हें बाजार मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, जिससे सरकारी खरीद प्रभावित हो रही है।
गेहूं खरीद के यह हालात देखते हुए प्रशासन हरकत में आ गया है। लखनऊ के डीएम विशाख जी ने बिचौलियों और जमाखोरों पर शिकंजा कसने के लिए एसडीएम, तहसीलदार और मंडी अधिकारियों की विशेष टीमें गठित करने का निर्देश दिया है। ये टीमें बिचौलियों और एमएसपी से ज्यादा कीमत पर किसानों से गेहूं खरीदने वालों पर नजर रखेंगी।
आपको बताते चलें कि जो किसान अपनी गेहूं की उपज सरकार को बेचना चाहते हैं, उन्हें खाद्य और रसद विभाग के पोर्टल fcs.up.gov.in या UP किसान मित्र मोबाइल ऐप पर जाकर पंजीकरण कराना अनिवार्य है। सरकार का मानना है कि जमाखोरी रोकने के लिए उठाए गए कदमों से जल्द ही सरकारी खरीद रफ्तार बढ़ेगी और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मिलेगा।
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