केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने किसानों को उनके विशिष्ट कृषि उत्पादों के लिए प्रीमियम मूल्य दिलाने और वैश्विक बाजार तक पहुंच उपलब्ध कराने के लिए राज्यों से ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है। मंत्रालय ने राज्यों को अधिक से अधिक कृषि उत्पादों की पहचान करने, उनकी पंजीकरण प्रक्रिया को तेज करने और विशेष विपणन मंच विकसित करने पर जोर देने के निर्देश दिए हैं। मंत्रालय ने अपने आधिकारिक संचार में कहां है कि प्रत्येक राज्य में एक नोडल एजेंसी गठित की जानी चाहिए, जो संभावित जीआई टैग योग्य कृषि उत्पादों की पहचान करेगी।
राज्यों को इन उत्पादों के लिए प्रभावी विपणन रणनीति तैयार करने, डिजिटल और ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म का अधिकतम उपयोग करने और कृषि, बागवानी व खाद्य प्रसंस्करण विभागों के साथ समन्वय बनाने के लिए भी कहां गया है। कृषि मंत्रालय ने किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), किसान सहकारी समितियों, उत्पादक समूहों, कृषि प्रोद्योगिकी प्रबंधन एजेंसियों और एपीएमसी को जीआई पंजीकरण के लिए प्राथमिकता देने की सिफारिश की है।
मंत्रालय ने कहां कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा जीआई टैगिंग की मजबूत प्रणाली विकसित करने से विशिष्ट कृषि उत्पादों की पहचान संरक्षित होगी। ओर किसानों को उनके अनूठे उत्पादों का उचित मूल्य मिल सकेगा। मंत्रालय के सचिव देवेश चतुर्वेदी ने राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कहां है कि अभी भी कई कृषि और प्रसंस्कृत उत्पाद जीआई टैग प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं और इस दिशा में ज्यादा प्रयास किए जाने की जरूरत है।
भौगोलिक संकेत जीआई टैग उन उत्पादों को दिया जाता है, जिनकी विशेषता ओर प्रतिष्ठा उनके भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ी होती है। यह टैग उत्पाद की पहचान को सुरक्षित करने और उल्लंघन से बचाने में सहायक होता है। भारत में अब तक 242 कृषि उत्पादों को यह प्रमाणन मिल चुका है। इसमें बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय, गुंटूर सन्नम मिर्च, कश्मीरी केसर और सांगली हल्दी जैसे उत्पाद शामिल हैं।
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