राजस्थान के पशुपालन और डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत राज्य के 13 जिलों में तरल नत्रजन भंडारण के लिए 3,000 लीटर क्षमता वाले वर्टिकल साइलो का वर्चुअल लोकार्पण किया। यह साइलो कृत्रिम गर्भाधान के लिए आवश्यक तरल नत्रजन के भंडारण को सुनिश्चित करने में मदद करेंगे, जिससे पशु नस्ल सुधार की प्रक्रिया को गति मिलेगी।
मंत्री कुमावत ने बताया कि इससे पहले राज्य के 16 जिलों में 3,000 लीटर क्षमता वाले वर्टिकल साइलो स्थापित किए जा चुके हैं। अब कुल 29 जिलों में इनकी स्थापना पूरी हो जाने से राजस्थान में तरल नत्रजन भंडारण क्षमता 93 हजार लीटर तक पहुंच गई है। जयपुर और उदयपुर में इन साइलो की क्षमता 6,000 लीटर हैं।
उन्होंने कहां की अधिकतर जिलों में यह व्यवस्था पूरी हो चुकी है और शेष जिलों में भी जल्द ही साइलो स्थापित किए जाएंगे। इन साइलो की स्थापना से समय, ऊर्जा, मानव श्रम और वित्तीय संसाधनों की बचत होगी, साथ ही आवश्यकतानुसार गुणवत्तापूर्ण तरल नत्रजन समय पर उपलब्ध हो सकेगा। पहले एक जिले से दूसरे जिले तक नाइट्रोजन की आपूर्ति के दौरान जार खराब हो जाते थे, लेकिन अब इस समस्या का समाधान हो जाएगा।
शासन सचिव पशुपालन, गोपालन और मत्स्य पालन के डॉ समित शर्मा ने जानकारी दी कि दौसा, टोंक, बाड़मेर, सवाई माधोपुर, बारां, जैसलमेर, जालोर, प्रतापगढ़, राजसमंद, डूंगरपुर, चितौड़गढ़, श्रीगंगानगर और चुरु जिलों में 218 लाख रुपए की लागत से नए वर्टिकल साइलो स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा धौलपुर, सिरोही, झालावाड़, बूंदी और कुचामनसिटी में भी 3,000 लीटर क्षमता वाले साइलो की स्थापना जल्द ही की जाएगी, जिसके लिए भारत सरकार से बजट प्राप्त होने की प्रतीक्षा की जा रही है।
उन्होंने बताया कि राजस्थान पशुधन विकास बोर्ड ने राष्ट्रीय मिशन के तहत 73.25 लाख रूपए की लागत से 629 मैत्री कार्यकर्ताओं और 1687 विभागीय संस्थानों को एआई कीट में एआई गन, सीजर, एप्रन, फोर्सेप, डिप स्टीक, थर्मामीटर आदि शामिल हैं। पहली बार इस कीट में इलेक्ट्रिक कैटल और क्रायोजार बैग को भी जोड़ा गया है। भविष्य में 5000 अतिरिक्त एआई कीट उपलब्ध कराई जाएगी , जिन पर 150 लाख रुपए की लागत आएगी।
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