बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने 25 नवंबर को सोनपुर में एशिया के सबसे बड़ा पशु मेला का उद्घाटन किया। इस साल सोनपुर मेला 32 दिनों तक चलने वाला हैं। 25 नवंबर से शुरू हुआ है और 26 दिसंबर को समापत होगा। इस मेले में गाय, भैंस, घोड़े समेत कई पशुओं को बिक्री के लिए लाया जाता है। सोनपुर मेले में सजने वाला घोड़ा बाजार इस मेले का मुख्य आकर्षण रहता है। आपको बता दें कि पिछले साल इस मेले में लगभग 5,500 घोड़े आए थे। एक जमाने में यह मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था।
इस साल मेले में हाथी एवं अन्य वन्यप्राणियों की खरीद-बिक्री, व्यापार एवं हस्तांतरण की मनाही होगी। किसी भी रूप में दान या किसी भी विधि से हाथियों का आदान प्रदान भी नहीं किया जाएगा। सोनपुर मेले की शुरुआत कब हुई, इसके बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन माना जाता है कि यह मेला कई शताब्दियों से आयोजित हो रहा है। मेले का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। सोनपुर मेला का सबसे पहला उल्लेख 12वीं शताब्दी के संस्कृत ग्रंथ “गंगावतरण” में मिलता है।
सोनपुर मेला सिर्फ एक पशु मेला नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन भी है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भगवान शिव के भक्त सोनपुर आते हैं और गंगा नदी में स्नान करते हैं। मेले में विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान भी होते हैं। सोनपुर मेला भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मेला हर साल लाखों लोगों को आकर्षित करता है और लोगों को एक साथ लाने में मदद करता है।
यह भी पढ़े: गेहूं के 60 प्रतिशत रकबे में जलवायु-प्रतिरोधी किस्मों की खेती का लक्ष्य
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े रहे या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें। धन्यवाद