पंजाब के होशियारपुर जिले के भिखोवाल गांव के 60 वर्षीय किसान हरबिंदर सिंह संधू ने अपने नवाचार और मेहनत के दम पर खेती को अत्यधिक लाभदायक व्यवसाय में बदल दिया है। छह एकड़ पॉलीहाउस में हरी, पीली और लाल शिमला मिर्च उगाकर वे हर साल लगभग एक करोड़ रुपए की आय अर्जित करते हैं, जिसमें से लगभग 50 लाख रुपए शुद्ध लाभ होता है।
संधू ने 2008 में आधे एकड़ से अपनी पॉलीहाउस खेती की शुरुआत की थी। बढ़ती मांग और सरकारी सब्सिडी के सहारे 2015 तक उन्होंने इसे छह एकड़ तक बढ़ाया। प्रति एकड़ 40 लाख रुपए के निवेश से उन्होंने पॉलीहाउस बनाए ओर हॉलैंड से आयातित उन्नत बीजों का इस्तेमाल करते हुए प्रति एकड़ 150 से 200 क्विंटल शिमला मिर्च का उत्पादन हासिल किया।
पॉलीहाउस में प्रति एकड़ खेती की लागत लगभग 6 से 7 लाख रुपए आती है, जबकि आय 12 से 15 लाख रुपए तक होती है। नवंबर से जून तक चलने वाली इस फसल के बावजूद बाजार मूल्य में उतार चढ़ाव की चुनौती रहती है, जो मुख्य रूप से बैंगलोर के शिमला मिर्च बाजार पर निर्भर है। संधू की उपज पंजाब और जम्मू कश्मीर के बाजारों में खासी मांग में रहती है।
संधू अपने बाकी 44 एकड़ खेत में चिनार और नीलगिरी जैसे पेड़ उगाकर कृषि वानिकी करते हैं। सात साल के चक्र में प्रति एकड़ 10 लाख रुपए की लकड़ी बेचकर वे 7 से 8 लाख रुपए का लाभ कमाते हैं। इसके अलावा, शुरुआती विकास चरण में हल्दी और अन्य फसलों के साथ अंतर फसलें उगाकर लागत को संतुलित करते हैं। उनके बेटे ने भी एक एकड़ खेत में मशरूम की खेती ओर खाद संयंत्र की शुरुआत की है।
संधू का मानना है कि गेहूं धान की पारंपरिक फसल चक्र से बाहर निकलकर विविधीकरण की ओर बढ़ना ही किसानों के लिए फायदेमंद है। वे कहते हैं कि यह न केवल आर्थिक लाभ बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि किसानों की जीवनशैली में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा। उनका मॉडल यह दिखाता है कि ज्ञान, नवाचार और कड़ी मेहनत के जरिए खेती को एक लाभकारी व्यवसाय में बदला जा सकता है।
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