केंद्र सरकार ने अपने हफ्ते भर पहले के फैसले को पलटते हुए इथेनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस और बी-हैवी शिरा दोनों के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी। अब चीनी मिलें अधिकतम 17 लाख टन की सीमा में चीनी का इस्तेमाल इथेनॉल उत्पादन के लिए कर सकेगी। आपको बता दें कि केंद्र ने 7 दिसंबर को विपणन वर्ष 2023-24 यानी (अक्टूबरया-सितंबर) के दौरान चीनी उत्पादन में संभावित गिरावट को देखते हुए इथेनॉल के लिए गन्ना रस के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था।
सरकार द्वारा अपना फैसला पलटने से चीनी मिलों और गन्ना किसानों को राहत मिलेगी। खाद्य मंत्रालय के मुताबिक, 7 दिसंबर को पिछला आदेश जारी करने से पहले गन्ने के रस से लगभग 6 लाख टन इथेनॉल बनाया जा चुका है। सरकार का अनुमान है कि 2023-24 के पेराई सत्र में देश का चीनी उत्पादन घटकर 3.3 करोड़ टन रह सकता है। इसमें पिछले पेराई सत्र में यह 3.7 करोड़ टन से अधिक रहा था।
इस प्रतिबंध के बाद, गन्ना उत्पादकों और चीनी मिलों ने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि यह प्रतिबंध उनके लिए आर्थिक रूप से हानिकारक होगा और किसानों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत छीन लेगा। इन कदमों से भारत में गन्ने से इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि होगी और यह देश के लिए एक महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत बन जाएगा। गन्ना किसानों को इथेनॉल की बिक्री से अधिक आय होती है। इथेनॉल की बिक्री से चीनी मिलों को भी अतिरिक्त आय होती है। इसलिए, सरकार ने गन्ने से इथेनॉल उत्पादन पर प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है।
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