पंजाब के फिरोजपुर जिले में कृषि पद्धतियों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। किसान पारंपरिक गेहूं की खेती छोड़कर मिर्च की खेती की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे उनकी आमदनी में कई गुना इजाफा हो रहा है। मिर्च की खेती से किसानों को प्रति एकड़ खेत में एक लाख से 4 लाख तक की आय हो रही है, जबकि गेहूं की खेती से सिर्फ 45 हजार से 50 हजार प्रति एकड़ की आय होती थी।
राज्य बागवानी प्राधिकरण के अनुसार 2024 से 25 के रबी सीजन में लगभग 12 हजार एकड़ भूमि पर मिर्च की खेती हो रही है, जिससे यह क्षेत्र मिर्च उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। इस जिले में किसान सामूहिक रूप से 20 हजार टन से अधिक हरि और लाल मिर्च का उत्पादन कर रहे हैं। फिरोजपुर जिला बागवानी अधिकारी सिमरन सिंह ने बताया कि 2017 में केवल 2 हजार एकड़ में मिर्च की खेती होती थी, लेकिन बीते सात सालों में यह सात गुना बढ़कर 12 हजार एकड़ तक पहुंच गई है।
कृषि पद्धति में इस बदलाव से लगभग 4 हजार किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है। किसान अपनी उपज स्थानीय मंडियों में बेच रहे हैं, जहां अन्य राज्यों के व्यापारी भी इसे खरीदने आ रहे हैं। इस गांव के बारे में हरदीप सिंह 15 एकड़ में मिर्च की खेती कर रहे हैं। हरदीप सिंह बताते हैं कि मिर्च की खेती गेहूं की तुलना में कही अधिक लाभदायक है। प्रति एकड़ खेत में लगभग 50 हजार का खर्च आता है, लेकिन कमाई एक लाख से अधिक हो सकती है। अगर बाजार अनुकूल हो तो मुनाफा और अधिक बढ़ सकता है।
मौजगढ़ के किसान मनजिंदर सिंह का कहना है कि राज्य सरकार को किसानों की मदद के लिए फिरोजपुर में एक मिर्च प्रसंस्करण इकाई स्थापित करनी चाहिए। इसके अलावा एक कोल्ड स्टोरेज सुविधा होने से किसान अपनी उपज को उचित समय तक स्टोर कर सकेंगे और बेहतर कीमत मिलने पर बेच सकेंगे, जिससे मिर्च की खेती और अधिक लाभदायक हो जाएगी।
राज्य उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के तहत मिर्च क्लस्टर के नोडल अधिकारी सुखराज सिंह विर्क ने बताया कि एक जिला एक उत्पाद पहल के तहत फिरोजपुर में एक बागवानी एस्टेट की योजना बनाई गई है। इस एस्टेट में किसानों को उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक और बागवानी विशेषज्ञों से प्रशिक्षण एक ही जगह मिलेगा, जिससे जिले में मिर्च उत्पादन को और बढ़ावा मिलेगा।
राज्य उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के तहत आने वाले मिर्च क्लस्टर के नोडल अधिकारी सुखराज सिंह विर्क ने बताया कि फिरोजपुर में एक जिला एक उत्पाद पहल के तहत बागवानी एस्टेट विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहां की यह केंद्र ज्ञान केंद्र के रूप में काम करेगा, जिससे किसानों को एक ही छत के नीचे गुणवत्तापूर्ण बीज, उर्वरक, कीटनाशक और बागवानी विशेषज्ञों से प्रशिक्षण प्राप्त होगा।
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