पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका और ब्रिटेन में आर्थिक संकट के कारण कमजोर मांग के चलते भारत में कपास की कीमतें 2 साल के निचले स्तर पर आई गई है। कपास की कीमतों में गिरावट के परिणामस्वरूप भारतीय कपास निगम ने वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान कपास उत्पादन किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 900 करोड़ रुपए मूल्य के 2.50 लाख गांठ कपास की खरीद की है।
सरकार द्वारा रेशेवाले कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6,620 रुपए प्रति क्विंटल एवं लंबे रेशे वाले कपास का समर्थन मूल्य 7,020 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। जबकि, पंजाब की कुछ मंडियों में इसकी कीमतें घटकर 4,700 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास आ गई है।कपास की कीमतों में गिरावट से किसानों को नुकसान होगा, लेकिन इससे कपड़ा उद्योग को फायदा होगा। कपड़ा उद्योग के लिए कच्चे माल की लागत कम हो जाएगी, जिससे कपड़ों की कीमतों में कमी आ सकती है।
कपास की कीमतों में गिरावट से कपड़ा उद्योग को भी नुकसान हो रहा है। कपड़ा उद्योग कपास का एक प्रमुख उपभोक्ता है, और कीमतों में गिरावट से उसके लागत में कमी आई है। इससे कपड़ों की कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है। कपास की कीमतों में सुधार की संभावना है। चीन में आर्थिक मंदी कम होने पर कपास की मांग में वृद्धि हो सकती है। अमेरिका में कपास उत्पादन में कमी आने पर कपास की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। यूक्रेन युद्ध के समाप्त होने पर वैश्विक व्यापार में सुधार होने पर कपास की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
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