फरवरी से ही प्रदेश में गर्मी का प्रकोप तेज हो गया है। पिछले एक पखवाड़े से तापमान 37 से 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। नतीजतन, अनार, आम, केला, अंगूर जैसे फलों और सब्जियों की फसलों पर तेज धूप का खास असर पड़ रहा है। इस भीषण गर्मी के कारण न सिर्फ फसलों को पानी कमी का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि फसलें भी खराब हो रही हैं।
हर साल अप्रैल और मई में तापमान 40 से 42 डिग्री सेल्सियस के पार चला जाता है, लेकिन इस साल एक दो महीने पहले ही भीषण गर्मी पड़नी शुरू हो गई है। खासकर सुबह तेज ठंड और दोपहर में गर्मी और शाम को फिर ठंड का मिलजुला माहौल होने से जनजीवन पर भी इसका असर पड़ रहा है। बुखार, ठंड लगना, सिर दर्द जैसी बीमारियां होने लगी हैं।
बच्चों और बुजुर्गों में बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। पिछले आठ दिनों में तापमान लगातार बढ़ रहा है, यह 36, 37 और 38 डिग्री तक पहुंच गया है। अनार, अंगूर, केला और आम का रकबा राज्य में सबसे ज्यादा है। इस गर्मी के कारण फल अवस्था में अनार के बाग धूप से झुलस रहे हैं और फलों के फटने की दर बढ़ गई है। अनार की कलियां खिलने की अवस्था में गिर रही हैं।
इसके अलावा आम ओर केले के फलों की फसलों पर धूप की तीव्रता के कारण दाग पड़ने लगे हैं। दोनों तरह के तापमान में बदलाव के कारण आम का फल काला पड़ रहा है। इसके अलावा पानी की भी काफी कमी है। केले खिलने की अवस्था में हैं, जहां अधिक तापमान के कारण गुच्छे गिर रहे हैं। कुछ जगहों पर केले का फूल पकने से पहले ही खराब हो रहा है।
अंगूर का मौसम अपने अंतिम चरण में है, लेकिन कई जगहों पर बीज सड़ने की दर बढ़ गई है। इसके अलावा प्याज और ग्रीष्मकालीन सब्जी की फसलों पर सबसे ज्यादा पानी की कमी है। कई जगहों पर इन फसलों के खराब होने की तस्वीर सामने आई है। सब्जी की फसलों, खासकर हरि मिर्च और टमाटर में रस चूसने वाले कीटों का प्रकोप और सड़न की मात्रा बढ़ गई है।
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